सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम के मौके पर ताजिया जुलूस निकालने की अनुमित देने वाली याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया और कहा कि अगर ताजिया जुलूस निकालने की इजाजत दी गई तो फिर इसके बाद कोरोना फैलाने के लिए एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जाएगा, जिससे अराजकता  फैलेगी.

चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, अगर हम देशभर में मुहर्रम पर ताजिया जुलूस निकालने की इजाजत देते हैं तो इससे अराजकता हो जाएगी और एक समुदाय को फिर कोविड-19 महामारी फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. 

सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के सैयद कल्बे जवाद की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी, जो देशभर में शनिवार और रविवार को मुहर्रम जुलूस की इजाजत मांग रहे थे. याचिका पर अदालत की तरफ से जगन्नाथ रथ यात्रा फेस्टिवल की अनुमति का हवाला दिया गया था. 

चीफ जस्टिस ने कहा, “आप पुरी जगन्नाथ यात्रा का संदर्भ दे रहे हैं, जो एक जगह पर और एक रुट पर तय था. उस केस में हमने खतरे का आकलन कर आदेश दिया था. इसमें दिक्कत ये है कि आप देशभर के लिए आदेश देने की इजाजत मांग रहे हैं.”

चीफ जस्टिस ने यहां तक कह दिया, हम सभी लोगों को स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाल सकते हैं. अगर आपने एक जगह के लिए इजाजत मांगी होती तो हम उस खतरे का आकलन कर सकते थे. सर्वोच्च अदालत ने पूर्ण रूप से देशभर में इजाजत की कठिनाई के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य सरकारें भी इस याचिका के पक्ष में नहीं हैं.