वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 संक्रमण के खत्म होने और लोगों के दिमाग से इसका मनोवैज्ञानिक डर समाप्त होने के बाद सरकार एक और वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज लाने के विकल्प पर गौर कर सकती है। केंद्रीय व्यय सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि सरकार ने इस बात पर गौर किया है कि हाल में विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को भेजी गई सीधी मदद में से 40 फीसद राशि लोगों ने बचत के रूप में रख ली है और खर्च नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इससे यह समझ विकसित हुई है कि प्रोत्साहन पैकेज की अपनी सीमाएं है और इस लिहाज से समय सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 से प्रभावित लोगों की मदद के लिए सरकार ने मार्च के आखिर में पहले प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। आरबीआई भी मार्च से अब तक रेपो रेट में भारी कटौती कर चुका है।
सोमनाथन ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय सामान्य आर्थिक गतिविधियां ‘रूकी’ हुई हैं और इसका इस बात से कोई लेनादेना नहीं है कि सरकार ने क्या किया है और क्या नहीं किया है। हालांकि, लोगों के मन में बैठा हुआ डर इसका कारण हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इस समय सरकारी उपायों या प्रोत्साहन पैकेज के असर से जुड़ी समस्या नहीं है। सोमनाथन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि लोग बाहर निकलने और सामान्य आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए सरकार की ओर से कुछ किए जाने का इंतजार कर रहे हैं।
व्यय सचिव ने कहा कि देश के कई हिस्सों में स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति ‘काफी संवेदनशील’ बनी हुई है और फाइनेंस एवं इंश्योरेंस सेक्टर को छोड़कर सिनेमा हॉल, मॉल और रेस्टोरेंट जैसी निजी क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
उन्होंने कहा कि महामारी का डर खत्म होने के बाद आर्थिक मोर्चे पर रिवाइवल की संभावनाएं हैं और तब सरकार कुछ उपायों के साथ अर्थव्यवस्था को सहायता प्रदान कर सकती है।