मध्य प्रदेश के गांवों में रहने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है। अब यहां के निवासियों को अपने घर का मालिकाना हक मिले सकेगा, यानि अब उनकी जमीन उनके नाम होगी। ऐसे में ग्रामीणों को आसानी से बैंक से लोन मिल सकेगा। अभी जमीन पर मालिकाना हक नहीं होने की वजह से उन्हें किसी तरीके का जमीन से जुड़ा फायदा नहीं मिल पाता था।
2 अक्टूबर से होगा योजना का शुभारंभ
राजस्व मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि प्रदेश में स्वामित्व योजना का शुभारंभ 2 अक्टूबर से होगा। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे ऐसे लोग, जिनके पास कोई मालिकाना दस्तावेज नहीं हैं, और जिनका राजस्व रिकॉर्ड में भी उल्लेख नहीं है, को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। योजना के प्रथम चरण में मध्य प्रदेश के 10 जिलों में 10 हजार गांवों का सर्वे का लक्ष्य रखा गया है।
3 जिलों में होगी प्रारंभ
मंत्री राजपूत ने बताया कि यह योजना प्रदेश के 3 जिलों सीहोर, हरदा और डिंडोरी के 11-11 गांवों में प्रारंभ की जाएगी। इस योजना से गांव की संपत्तियों का रिकॉर्ड तैयार हो सकेगा। आबादी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को उसकी भूमि का स्वामित्व प्राप्त हो सकेगा, जिससे बैंक से ऋण, संपत्ति बंटवारा एवं विक्रय करना आसान होगा।
भूमि बंधक की प्रक्रिया ऑनलाइन
इसी के साथ राजपूत ने बताया कि अभी तक किसानों को बैंक लोन के लिए कलेक्ट्रेट, पटवारी और बैंक आदि के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब शासन ने भूमि बंधक प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। इससे अब नागरिकों को केवल बैंक में जाकर सिर्फ आवेदन करना होता है, शेष प्रक्रिया बैंक द्वारा ही की जाती है। इसी प्रकार राजस्व संग्रहण की दृष्टि से लैंड रेवेन्यू एकाउंटिंग सिस्टम विकसित किया गया है, जिससे राजस्व आसानी से तथा पारदर्शी तरीके से संग्रहित किए जाते हैं।