एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर की फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल पर विवाद जारी है। फिल्म में दिखाए गए तथ्यों को लेकर कई आरोप लगाए जा रहे हैं, यहां तक कि वायु सेना ने भी फिल्म में दिखाए गए कुछ तथ्यों पर आपत्ति जाहिर की है। अब रिटायर्ड विंग कमांडर आईके खन्ना ने कहा है कि फिल्म में दिखाए गए कुछ तथ्य गलत है। विंग कमांडर (रि) खन्ना ने द प्रिंट के लिए लिखे एक कॉलम में फिल्म को लेकर अपना पक्ष रखा है। बता दें कि आईके खन्ना वो ही ऑफिसर हैं, जिन्होंने भारतीयु वायु सेना के पहले फीमेल बैच को ट्रेनिंग दी थी।
खन्ना ने लिखा है कि वो साल 1994 के ट्रेनर में से एक थे, जब महिला पायलटों का पहला जत्था भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में प्रशिक्षण शुरू करने के लिए बेंगलुरु के येलहंका स्थित वायु सेना स्टेशन पर पहुंचा। उन्होंने कहा कि फिल्म में जो दिखाया गया है, उसके विपरीत सभी महिला पायलटों को समान माना जाता था और किसी को भी कपड़े के लिए उनके कमरे तक नहीं जाना पड़ता था। खन्ना ने कहा कि लिंग के आधार पर भेदभाव भारतीय समाज में सदियों से था, लेकिन महिलाएं कई वर्षों से कई क्षेत्रों में डिफेंस सर्विस का हिस्सा रही हैं।
इससे पहले, एक महिला ऑफ़िसर फ्लाइट लेफ्टिनेंट (सेवा.) श्रीविद्या राजन ने कहा था कि गुंजन सक्सेना फ़िल्म का स्क्रीनप्ले पूरी तरह झूठ की बुनियाद पर गढ़ा गया है। श्रीविद्या ने फेसबुक पर एक लम्बी-सी पोस्ट लिखकर दावा किया है कि कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन सक्सेना बेस पर अकेली महिला ऑफ़िसर नहीं थीं और ना ही वो ऑपरेशन के लिए जाने वाली पहली महिला ऑफ़िसर थीं। इस पोस्ट में श्रीविद्या ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान वो और गुंजन साथ थे। 1996 में उधमपुर में दोनों साथ में पोस्टेड थे, जबकि मूवी में दिखाया गया है कि यूनिट में गुंजन अकेली महिला पायलट थीं।
इससे पहले सेवानिवृत्त विंग कमांडर नमृता चंडी ने भी भारतीय वायु सेना के अफ़सरों के फ़िल्मी चित्रण पर एतराज जताया था। उन्होंने ख़ुद इस बात की तस्दीक की कि कारगिल से पहली उड़ान भरने वाली महिला पायलट गुंजन नहीं, श्रीविद्या थीं। बता दें कि फिल्म गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल में जाह्वनी कपूर ने शीर्षक रोल निभाया है, जबकि फ़िल्म का निर्माण करण जौहर ने किया है और निर्देशन शरण शर्मा का है।