लखनऊ। प्रदेश में हाल की कुछ आपराधिक घटनाओं को लेकर विपक्ष भले ही कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहा हो। लेकिन, आंकड़ों के मुताबिक योगी सरकार की अपराध और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति की बदौलत उत्तर प्रदेश में अपराध न्यूनतम स्तर पर है। राज्य सरकार के कार्यकाल में अपराधों में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। उत्तर प्रदेश अपराधियों के खिलाफ एक्शन लेने में देश में अव्वल सथान पर है। प्रदेश में पिछले 9 वर्षों में घटित अपराधों के तुलनात्मक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। डकैती के मामलों में वर्ष 2016 के सापेक्ष वर्ष 2020 में 74.50 प्रतिशत तथा 2012 के सापेक्ष वर्ष 2020 में 74.67 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। इसी तरह गुण्डा-गैंगस्टर तथा एनएसए के पंजीकृत अभियोगों के तहत वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रभावी कार्रवाई करते हुए वर्ष 2012 में 12,149, वर्ष 2016 में 13,615 अभियोग पंजीकृत हुए, जबकि वर्ष 2020 में अब तक इसके अन्तर्गत 17,908 अभियोग पंजीकृत किए जा चुके हैं। गैंगस्टर अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में 1,313, वर्ष 2016 में 1,716 तथा वर्ष 2020 में 2,346 अभियोग पंजीकृत हुए। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में 44, वर्ष 2016 में 82 तथा वर्ष 2020 में 112 अभियोग पंजीकृत किए जा चुके हैं।
क्राइम इन इण्डिया-2018 के अनुसार भारत में कुल 31,32,954 आईपीसी के अपराध पंजीकृत हुए, जिनमें से 3,42,355 आईपीसी के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए। यह देश में ऐसे पंजीकृत अपराधों का 10.92 प्रतिशत है, जबकि जनसंख्या के आधार पर उप्र की आबादी 16.85 प्रतिशत है। एनसीआरबी के अध्याविधिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 में देश के कुल 37 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में घटित विभिन्न अपराधों के तहत डकैती के मामलों में 0.1 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ उत्तर प्रदेश का 31वां स्थान, लूट में 1.4 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 20वां स्थान है। इसी प्रकार शीलभंग में 11.8 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 14वां तथा पॉक्सो अधिनियम के मामलों में 6.1 प्रतिशत क्राइम रेट के साथ 23वां स्थान था। महिला सम्बन्धी अपराध में राज्य का स्थान 15वां था। इस प्रकार आईपीसी के तहत विभिन्न अपराध में उत्तर प्रदेश 24वें स्थान पर था। इससे स्पष्ट होता है कि देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रित स्थिति में है।
इसके साथ ही भारतीय दण्ड विधान के अपराधों में 4,14,112 गिरफ्तारियों के साथ उप्र द्वितीय स्थान पर, गिरफ्तार अभियुक्तों में से 1,44,274 की दोष सिद्धि के साथ द्वितीय स्थान पर, भारतीय दण्ड विधान व एसएलएल के अपराधों में गिरफ्तार अभियुक्तों में से 4,02,801 की दोष सिद्धि के साथ द्वितीय स्थान पर तथा एसएलएल के अपराधों में गिरफ्तार अभियुक्तों में से 2,58,527 की दोष सिद्धि के साथ तृतीय स्थान पर है। 94.1 करोड़ की सम्पत्ति की बरामदगी के साथ राज्य का स्थान 6वां है। अपराधियों के खिलाफ की गई काईवाई में उप्र देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के सापेक्ष अग्रणी स्थान पर है। एनसीआरबी के वर्ष 2018 के अध्याविधिक आंकड़ों के मुताबिक, महिला सम्बन्धी अपराधों में दोष सिद्ध 21,146 पर कार्रवाई के साथ उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। साइबर अपराधों में 445 दोष सिद्ध के साथ प्रथम स्थान पर, 34,105 शस्त्रों के जब्तीकरण के साथ प्रथम स्थान पर तथा जाली मुद्रा जब्तीकरण में 237 अपराध पंजीयन के साथ इसमें भी राज्य प्रथम स्थान पर है।