-राघवेन्द्र प्रताप सिंह
अयोध्या : भक्त की आरंभिक और अंतरिम एक ही इच्छा होती है कि वह अपने आराध्य की आराधना में ही अपना साध्य कर दे। आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यही पावन इच्छा परिपूर्ण हुई। भक्त कैसे भाव विह्वल होकर अपने आराध्य के चरणों में स्वयं को समर्पित कर देता है.. इसे प्रधानमंत्री के साष्टांग प्रणाम ने आज श्रीराम जन्मभूमि के समक्ष स्वयं को समर्पित करते हुए उद्घाटित कर दिया। वर्षों से जिस राम मंदिर के निर्माण का इंतजार रहा आखिर वो घड़ी आ ही गई। पांच अगस्त के दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। सैकड़ों साधु सन्यासियों की उपस्थिति में पीएम द्वारा दिन में 12.15 मिनट के शुभ मुहूर्त पर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन के बाद पहली इंट रख मोदी ने मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया।
सब राम के और सबमें राम हैं -मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयं संघ के सर संघ संचालक डा.मोहन राव भागवत ने कहा है कि प्रभु श्रीराम हमारे रग-रग में है उसको हमने खोया नहीं है वह हमारे पास हंै हम शुरू करें हो जायेगा। इस प्रकार का विश्वास, प्रेरणा आज हमको इस दिन से मिलती है, सारे भारतवासियों को मिलती है। कोई भी अपवाद नही है, क्योंकि सब राम के है और सबमें राम है। इसलिये यहां अब मंदिर बनेगा और भव्य मंदिर बनेगा। अयोध्या में भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद अपने सम्बोधन में सरसंघ चालक ने बुधवार को कहा कि यह आनंद का क्षण है बहुत प्रकार से आनंद है, एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है तब के हमारे संघ के सरसंघचालक बाला साहब देवरस जी ने यह बात हमको कदम आगे बढ़ाने के पहले याद दिलाई थी कि बहुत लगकर बीस-तीस साल काम करना पड़ेगा तब यह काम होगा और बीस-तीस साल हमने किया, तीसवें साल के प्रारंभ में हमको संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कहा कि प्रयास किये है जी-जान से अनेक लोगों ने बलिदान दिए हैं और सूक्ष्म रूप में यहां उपस्थित है, प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो नही सकते है। ऐसे भी हैं जो है पर यहां आ नहीं सकते। रथयात्रा का नेतृत्व करने वाले आडवाणी जी (लालकृष्ण) आज अपने घर में बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे। कितने ही लोग है जो आ भी सकते है लेकिन बुलाये नही जा सकते, परिस्थति ऐसी है। लेकिन वह भी अपनी-अपनी जगह पूरे देश में देख रहा हूं आनंद की लहर है, सदियों की आस पूरी होने का आनंद है। लेकिन सबसे बड़ा आनंद है भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास की आवश्यकता थी और जिस आत्म भान की आवश्यकता थी उस का सगुण साकार अधिष्ठान बनने का शुभारंभ आज हो रहा है।
श्री भागवत ने कहा कि यह अधिष्ठान है अध्यात्मिक दृष्टि का। सारे जगत में अपने को और अपने में सारे जगत को देखने की भारत की दृष्टि जिसके कारण उसके प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार आज भी विश्व में सबसे अधिक सज्जनता का व्यवहार होता है और उस देश का सामूहिक व्यवहार सबके साथ ‘वसुधैव कुटबंकम’ का होता है। ऐसा स्वभाव ऐसे अपने कर्तव्य का निर्वाह व्यवहारिक जगत के जगत की माया के दुविधा में से रास्ते निकालते हुये जितना हो सके सबको साथ लेकर आगे चलने का जो विधि एक बनती है उसका अधिष्ठान आज यहां बन रहा है। उन्होंने कहा कि परम वैभव संपन्न और सबका कल्याण करने वाला भारत उसके निर्माण का शुभारंभ आज ऐसे निर्माण का व्यवस्थागत नेतृत्व जिनके हाथ से है उनके हाथ से हो रहा है यह एक और आनंद है। इसमें उन सबका स्मरण होता है लगता है अशोक (सिंघल) जी यहां रहते, महंत परमहंस रामचन्द्रदास जी अगर आज होते तो कितना अच्छा होता। लेकिन जो इच्छा उसकी है वैसे होता है। लेकिन मेरा विश्वास है कि जो है वह मन से है और जो नही है वह सूक्ष्म रूप से आज यहां उस आंनद को उठा रहे है। भागवत ने कहा कि इस आनंद में एक उत्साह है हम कर सकते है हमको करना है, जीवन जीने की शिक्षा देनी है अभी यह कोरोना का दौर चल रहा है सारा विश्व अंर्तमुख हो गया है विचार कर रहा है कहां गलती हुई, कैसे रास्ता निकले, दो रास्तो को देख लिया तीसरा रास्ता कोई है क्या ? हमारे पास है हम दे सकते है, देने का काम हमको करना है उसकी तैयारी करने के संकल्प लेने का भी आज दिवस है।
संघ प्रमुख ने कहा कि सारी प्रक्रिया शुरू हो गयी है दायित्व बांटे गये है जिसका जो काम है वह करेंगे, उसमें हम सब लोगो को क्या काम रहेगा हम सब लोगो को अपने मन की अयोध्या को सजाना संवारना है। इस भव्य कार्य के लिये प्रभू श्रीराम जिस धर्म के विगृह माने जाते है वह जोड़ने वाले धारण करने वाला, ऊपर उठाने वाला सबकी उन्नति करने वाला धर्म है, सबको अपना मानने वाला धर्म, उसकी ध्वजा को अपने कंधो पर लेकर संपूर्ण विश्व को सुख शांति देने वाला भारत हम खड़ा कर सकें इसलिये हमको अपने मन को अयोध्या बनाना है। उन्होंने कहा कि यहां पर जैसे जैसे मंदिर बनेगा वह अयोध्या भी बनती चली जानी चाहियें और इस मंदिर के पूर्ण होने के पहले हमारा मन मंदिर बन कर तैयार रहना चाहियें इसकी आवश्यकता है और वह मन मंदिर कैसा रहेगा हमारा हृदय भी राम का बसेरा होना चाहियें इसलिये सभी दोषो से विकारों से शत्रुता से मुक्त और हृदय से सब प्रकार के भेदो को तिलांजलि देकर केवल अपने देशवासी ही क्या संपूर्ण जगत को अपनाने की क्षमता रखने वाला इस देश का व्यक्ति और इस देश का समाज यह गढ़ने का काम है। उस गढ़ने के काम का एक सगुण साकार प्रतीक जो सदैव प्रेरणा देता रहेगा वह यहां खड़ा होने वाला है। भव्य राम मंदिर बनाने का काम भारतवर्ष के लाखों मंदिरों में एक और मंदिर बनाने का काम नही है, उन सारे मंदिरों में मूर्तियों का जो आशय है,उस आशय का पुर्नप्रकटीकरण और उसका पुर्नस्थापन करने का शुभारंभ आज यहां बहुत ही समर्थ हाथों से हुआ है।
मंदिर निर्माण लोक कल्याण का निर्माण : महंत नृत्यगोपाल दास
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण के कार्य शुभारंभ के मौके पर बुधवार को कहा कि मंदिर निर्माण भारत, विश्व और लोक कल्याण का निर्माण है। राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि मंदिर का निर्माण कार्य का शुभारंभ हो गया है। मंदिर का निर्मााण भारत का निर्माण है, विश्व का निर्माण है, लोक कल्याण का निर्माण है। उन्होंने कहा कि हिन्दू जनता की भावना, उनकी इच्छा, उनका मनोरथ यही है कि जल्द से जल्द भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हो और हम अपनी आंखों से मंदिर का निर्माण देख लें। उन्होंने कहा कि बडे हर्ष का विषय है, बहुत दिनों से हमसे लोग पूछते रहे, राम जन्मभूमि से जुडे होने के नाते कि मंदिर कब बनेगा। बार-बार हमारे सामने यही प्रश्न आता रहा। तब हमने कहना शुरू कह दिया एक ओर मोदी और एक ओर योगी, अब नहीं बनेगा तो कब बनेगा। महंत ने कहा कि ये बडा सुहावना समय आ गया है। करोडों-करोडों हिन्दू रामभक्तों की अभिलाषा, मनोरथ और इच्छा है कि जहां राम लला विराजमान हैं, वहां दिव्य एवं भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए इसीलिए तन, मन, धन अर्पण करने के लिए सभी तैयार हैं। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डा. मोहन राव भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तमाम साधु संत, विद्वान, महंत और गणमान्य लोग शामिल हुए।