विकास की ‘गंगा‘ से चमकी ‘सरयू‘ नगरी
लखनऊ : वैश्विक स्तर पर श्रीराम जन्मभूमि के स्वर्णिम स्वरूप को पुनः स्थापित करने, आस्था के पुरातन वैभव से विश्व का साक्षात्कार कराने और इक्ष्वाकुपुरी की स्थापना से अयोध्या को वैश्विक दर्जा दिलाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार संकल्पित है। कर्मयोग की संस्कृति से सनातनी परंपरा और भारतीय संस्कृति का पुर्नजागरण करने वाले विकास कार्यों ने अयोध्या की तस्वीर बदली है। वर्ष 2017 से ही अयोध्या में पहली बार कराए गए विकास कार्यों की फेहरित लम्बी है। स्थानीय निवासियों सहित अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विश्व स्तरीय सुविधायें मुहैया कराई गई हैं। कई निर्माण परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, तो कई अपने अन्तिम दौर में हैं। साथ ही सौन्दर्यीकरण की कई नई परियोजनाओं का खाका भी खींचा जा रहा है।
अयोध्या धाम को विकास के सर्वोच्च षिखर पर ले जाने वाले कार्य प्राथमिकता पर कराए जा रहे हैं। भजन संध्या स्थल, दशरथ महल, सत्संग भवन, यात्री सहायता केन्द्र, रैन बसेरा, रामकथा पार्क का विस्तारीकरण और क्वीन हो मेमोरियल पार्क आदि के निर्माण ने सरयू नगरी की तस्वीर बदली है। विभिन्न दिशाओं से अयोध्या पहुंचने वाले दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए चरणबद्ध तरीके से सड़कों का प्रभावी और निर्बाध नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। यहां आने श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए सुगम यातायात व्यवस्था के लिए सड़कों का चौड़ीकरण कराया जा रहा है। सड़कों के दोनों ओर आवश्यक जनसुविधाओं, जैसे- पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। वाहनों के लिए मल्टीलेवेल पार्किंग का निर्माण अन्तिम दौर में है। सौन्दर्यीकरण के साथ ही अयोध्या में बेहतर मार्ग प्रकाष व्यवस्था के लिए अण्डरग्राउण्ड केबलिंग कराई जा रही है।
45,814 लाख रुपये से अयोध्या के विकास कार्य
अयोध्या धाम में इस समय 45,814 लाख रुपये से अधिक के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। 19 करोड़ से भजन संध्या स्थल का निर्माण, 74 करोड़ से अयोध्या सीवरेज व्यवस्था, अयोध्या नगर के सीवर संयोजन का कार्य 11.74 करोड, पेयजल संयोजन का कार्य 17.28 करोड़, अयोध्या गृह पेयजल संयोजन का कार्य 1.51 करोड, अयोध्या पेयजल फेज-2 का कार्य 16.25 करोड़, अयोध्या सीवरेज योजना फेज-दो 37.89 करोड़, पर्यटन योजना के तहत अयोध्या के दशरथ महल के यात्री निवास, सत्संग भवन, नयाघाट पर्यटक सहायता केंद्र एवं प्रवेश द्वार निर्माण का कार्य 4.9 करोड़, राम कथा पार्क का विस्तारीकरण का कार्य 2.75 करोड़, राम की पैड़ी के मुख्य चैनल के रिमांडलिंग पार्ट-बी का कार्य 28.09 करोड़, रामायण सर्किट थीम के तहत राम कथा गैलरी का कार्य 7.59 करोड़, रामायण सर्किट थीम के तहत बाईपास के निकट मल्टी लेवल कार पार्किंग 16.44 करोड़, नये बस स्टैंड डिपो का निर्माण कार्य 7.39 करोड़, राम की पैड़ी का कार्य 12.64 करोड़, राम की पैड़ी में अविरल जल प्रवाह की रीमॉडलिंग का कार्य 24.81 करोड़ रुपये और सिटी वाइज एंटरवेशन का कार्य 14.63 करोड़ रुपये से कराया जा रहा है। बेहतर यातायात के लिए रेल उपरिगामी सेतुओं का निर्माण भी कराया जा रहा है। इनमें से कई निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं, तो कई अन्तिम दौर में हैं।
इसके अलावा भी अयोध्या की आधारभूत संरचना में व्यापक परिवर्तन लाने वाली कई बड़ी निर्माण परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। अयोध्या में रेल मार्ग और सड़क मार्ग को और बेहतर किया गया है। केंद्र सरकार ने अयोध्या के लिए राम जानकी मार्ग, फैजाबाद से बलरामपुर राज्यमार्ग, 84 कोसी मार्ग जैसी कई सड़क परियोजनाओं को मंजूर किया है। अयोध्या में देश के सर्वोत्तम रेलवे स्टेशन का निर्माण हो या फिर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में लगातार दो वर्षों तक शामिल होने वाले भव्य दीपोत्सव, इन आयोजनों ने अयोध्या को पुनः वैश्विक स्तर पर चर्चित किया है। सनातन सभ्यता के केन्द्र अयोध्या की स्वर्णिम सस्कृति और वैभव वैश्विक पटल पर पुनः मजबूती से स्थापित हो, देश ही नहीं बल्कि वैश्विक पर्यटन के मानचित्र पर प्रमुखता से अयोध्या का नाम दर्ज हो, इसके लिए आवश्यक अयोध्या के विकास में राज्य सरकार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।
कंबोडिया के अंकोरवाट की तर्ज पर इक्ष्वाकुपुरी नगरी की स्थापना योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसकी स्थापना से अयोध्या अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित होगी। अन्तर्राष्ट्रीय और देशी पर्यटक आकर्षित होंगे। अध्यात्म और पर्यटन के अनूठे आकर्षण वाली इक्ष्वाकुपुरी की स्थापना से अयोध्या में न केवल व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। अयोध्या में भगवान श्रीराम की जलसमाधि वाले स्थान सरयू के गुप्तारघाट से रामजन्मभूमि तक यह परियोजना 1,900 एकड़ क्षेत्र में विकसित की जाएगी, जिस पर 3,000 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है। अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग से गुप्तारघाट तक प्रस्तावित फोर लेन सड़क इक्ष्वाकुपुरी को जोड़ेगी। इसमें एक ओर सरयू नदी के किनारे रिवर फ्रंट का विकास किया जाएगा। इक्ष्वाकुपुरी को दो भागों में बांटा जाएगा। पहले भाग में वेदों, पुराणों, धर्मषास्त्रों के नाम से अलग-अलग संकुल होंगे, जहां पर्यटकों को इससे संबंधित जानकारी ऑडियो -विजुअल के माध्यम मिलेगी। इस आध्यात्म नगरी में मुनियों-ऋषियों के नाम से आश्रम बनाएं जाएंगे, जहां लोग योग साधना, कर्मकांड देख व कर सकेंगे और प्रवास कर सकेंगे। इक्ष्वाकुपुरी की स्थापना के बाद भारतीय आध्यात्म, दर्शन, धर्मशास्त्र और पर्यटन को वैश्विक स्तर पर पुर्नस्थापना होगी।