सावन का चौथा सोमवार : बारिश और उमस के बीच बैरिकेडिंग में कतारबद्ध शिवभक्तों ने कोविड प्रोटोकाल का किया पालन
वाराणसी। सावन माह के चौथे सोमवार पर काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दरबार में शिवभक्तों ने हाजिरी लगाई। भक्तों ने ज्योर्तिलिंग की झांकी का दर्शन कर घर परिवार में सुख शान्ति के साथ वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति के लिए अर्जी लगाई। कोरोना संकट काल में लागू साप्ताहिक तीन दिवसीय लॉकडाउन के अन्तिम दिन अलसुबह से ही श्रद्धालु मंदिर परिक्षेत्र में बने बैरिकेडिंग में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए कतारबद्ध होने लगे। बारिश और उमस के बीच मुंह पर मास्क लगाये भक्त सैनिटाइज होने के बाद मंदिर के तीनों प्रवेश द्वारों पर थर्मल स्कैनर की प्रक्रिया से गुजर प्रवेश करते रहे। कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर में एक बार में केवल 5 ही लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है। लॉकडाउन के चलते मंदिर परिक्षेत्र में काफी कम संख्या में शिवभक्त जुटे। जिसके चलते एक बार फिर काशी में ‘कंकर-कंकर शंकर’ का नजारा नहीं दिखा। इसके बावजूद बैरिकेडिंग में कतारबद्ध शिवभक्त अपने आराध्य के भक्ति के रंग में डूबे नजर आये। मंदिर परिक्षेत्र में चंहुओर ओर हर-हर महादेव का उद्घोष, घंट-घड़ियाल की गूंज, आस्था का अटूट जलधार, बाबा के प्रति भक्तों का अनुराग समर्पण नजर आया। दोपहर बाद बाबा का रूद्राक्ष श्रृंगार की झांकी देखने के लिए शिवभक्त व्याकुल नजर आये।
इसके पूर्व तड़के बाबा के विग्रह को परम्परानुसार विधि विधान से पंचामृत स्नान कराया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भव्य श्रृंगार कर मंगला आरती के बाद मंदिर का पट सुबह पांच बजे शिवभक्तों के लिए खुल गया। इसके साथ ही श्रद्धा की कतार दरश परश जलाभिषेक के लिए दरबार में उमड़ पड़ी। शिवभक्तों की सुरक्षा की कमान सीओ दशाश्वेमध अवधेश पांडेय,चौक और दशाश्वमेध थाना प्रभारी ने संभाल रखी भी। एसपी सिटी और एसएसपी भी फोर्स के साथ मंदिर परिक्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को परखने पहुंचे। सावन के चौथे सोमवार पर बाबा विश्वनाथ दरबार को छोड़कर अन्य प्रमुख शिवालयों कैथी स्थित मार्कंडे महादेव,दारानगर महामृत्युजंय, रोहनिया शुलटंकेश्वर महादेव, तिलभाण्डेश्वर महादेव, गौरी केदारेश्वर महादेव, त्रिलोचन महादेव, रामेश्वर महादेव, कर्मदेश्वर महादेव,सारंगनाथ सारनाथ, गौतमेश्वर महादेव का पट कोरोना संकट के चलते बंद रहा। सावन के चौथे सोमवार पर परंपरानुसार बाबा का रुद्राक्ष श्रृंगार करने के पूर्व पूरे दरबार को विविध फूलों और अशोक की पत्तियों से सजाया गया। उधर, सावन के चौथे सोमवार पर ज्यादातर परिवार में लोगों ने बाबा विश्वनाथ के प्रति श्रद्धाभाव से व्रत रखा। घरों में लोगों ने रूद्राभिषेक कर सुख शान्ति वैभव के लिए बाबा से गुहार लगायी।