वाराणसी। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तद्नुसार शनिवार को नागपंचमी पर्व कोरोना संकट काल में लागू 55 घंटे के पूर्ण लॉकडाउन के बीच सादगी से मनाया गया। पर्व पर प्रतीक रूप से नागों की पूजा कर उन्हें पंचामृत, घृत, कमल, दूध, लावा अर्पित किया गया। लॉकडाउन में बड़े शिवालयों के बंद रहने पर महिलाएं अपने घर के आसपास के छोटे शिवालयों में पूजा की थाली लेकर पहुंची। महिलाओं ने भगवान शिव व उनके गले में लिपटे नागराज को बेल पत्र, धतूरा, फूल, हल्दी चावल, दूध आदि चढ़ाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की। पूजन अर्चन के बाद घरों में पकवान बनाकर नागदेवता और अपने पूर्वजों को भी भोग लगाया गया। इसके बाद परिवार के सदस्यों ने घर में बने पकवान को हंसी खुशी माहौल में प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया। पर्व पर ही कई घरों में अपने परिजनों,पुत्र की कालसर्प योग की शांति के लिए नाग देवता सहित ग्रह राहु-केतु की पूजा की गयी।
लॉकडाउन और जगह-जगह बने हॉटस्पॉट के चलते पर्व पर अलसुबह से ही छोटे गुरु का, बड़े गुरु का, नाग लो भई नाग लो की हाक नही सुनाई दी। कहीं-कही छोटे-छोटे बच्चे नाग देवता का चित्र बेचने के लिए गलियों मोहल्ले में घूमते देखे गये। लोगों ने इन बच्चों से नाग देवता की तस्वीर खरीद कर पूजा पाठ की। पर्व पर शहर और ग्रामीण अंचल में पूर्वांह में आयोजित मल्लयुद्ध, दंगल, महुवर आदि का प्रदर्शन नही हो गपाया। मोहल्लों में सपेरे भी नही दिखे। नगर के प्रमुख अखाड़ों रामसिंह, गयासेठ, पंडाजी का अखाड़ा, अखाड़ा मानमंदिर, बबुआ पांडेय अखाड़ा, अखाड़ा बड़ा गणेश, अखाड़ा जग्गू सेठ, अखाड़ा रामकुंड, लालकुटी व्यायामशाला, कालीबाड़ी, अखाड़ा गैबीनाथ, अखाड़ा तकिया में सन्नाटा पसरा रहा। अखाड़ों के व्यवस्थापकों ने पूजा की रस्म अदायगी की। नागपंचमी पर ही परंपरानुसार जैतपुरा स्थित नागकूप पर होने वाला शास्त्रार्थ और मेला भी कोरोना संकट काल में स्थगित रहा।