भारतीय नागरिक परिषद ने गूगल मीट पर आयोजित की संगोष्ठी
लखनऊ : भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में गुरुवार 23 जुलाई को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती मनाई गई। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इन दो महान क्रांतिकारियों की जयंती वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गूगल मीट पर आयोजित की गई। संगोष्ठी का प्रारंभ प्रख्यात कवि देवकीनंदन शांत क्रांतिकारियों पर लिखी अपनी कविता वाचन से किया इसी क्रम में भारतीय नागरिक परिषद के मंत्री निशा सिंह ने देशभक्ति के गीत सुना कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। संगोष्ठी की अध्यक्षता भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री ने की और संगोष्ठी के मुख्य वक्ता ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र द्विवेदी दुबे ने दोनों क्रांतिकारियों के कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि जब अट्ठारह सौ सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी बुझने वाली थी तभी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने एक बार पुनः स्वतंत्रता संग्राम की अलख प्रज्वलित कर दी। 1857 के बाद बम तमंचे की वैचारिक क्रांति के जनक के रूप में बाल गंगाधर तिलक सदैव स्मरण किए जाते रहेंगे। चाफेकर बंधुओं ने लोकमान्य तिलक से ही प्रेरणा लेकर आतताई रेंड और आर्यस्ट का काम तमाम किया था ।लोकमान्य तिलक महान क्रांतिकारी तो थे ही, इसके साथ ही एक महान गणितज्ञ, दर्शनशास्त्री, लेखक और संपादक भी थे। केसरी और मराठा समाचार पत्रों का उन्होंने कुशलतापूर्वक संपादन किया। गीता रहस्य जैसी पुस्तक लिखकर वे आध्यात्मिक क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ गए।
अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि सशस्त्र क्रांति का इतिहास चंद्रशेखर आजाद के बगैर लिखना संभव ही नहीं है। चंद्रशेखर आजाद का व्यक्तित्व काकोरी क्रांति के 4 शहीदों राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र नाथ लाहड़ी, अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह तथा सरदार भगत सिंह के साथ इतना बंधा हुआ है कि जब कभी भी इन पांचों की जीवनी लिखी जाती है तो अनायास ही चंद्रशेखर आजाद का नाम बार-बार आता है। चंद्रशेखर आजाद उन थोड़े से महान क्रांतिकारियों में थे जो अत्यंत उत्तम कोटि के संगठन कर्ता होने के साथ-साथ त्याग की उदात्त भावना से पूर्ण रूप से परिचालित होते थे। चंद्रशेखर आजाद बहुत ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन भगत सिंह, विजय कुमार सिन्हा, भगवानदास माहौर और वैशम्पायन आदि विद्वान क्रांतिकारियों का नेतृत्व करते थे। चंद्रशेखर आजाद के नाम से ब्रिटिश हुकूमत थर थर कांपती थी। चंद्रशेखर आजाद को जीवित या मृत गिरफ्तार करने के लिए स्कॉटलैंड यार्ड के सबसे योग्य पुलिस अधिकारी नॉट बाबर को ओएसडी बनाकर भारत भेजा गया था। ब्रिटिश हुकूमत से सन्मुख युद्ध में संघर्ष करते हुए अपनी ही गोली से उन्होंने अपने जीवन का उत्सर्ग किया और अमरत्व प्राप्त कर लिया। इसमें संदेह नहीं है कि चंद्रशेखर आजाद ने कर्म से या विचारों से कभी कोई ऐसी बात नहीं की जिससे उनके क्रांतिकारीत्व को किसी प्रकार का बट्टा लग सके। इस कसौटी पर बहुत कम क्रांतिकारी खरे उतरते हैं। चंद्रशेखर आजाद क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत थे। संगोष्ठी को भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश प्रकाश अग्निहोत्री, संस्थापक न्यासी एवं एडवोकेट रमाकांत दुबे, सावरकर विचार मंच के अध्यक्ष डॉ अजय दत्त शर्मा और महामंत्री रीना त्रिपाठी ने संबोधन किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से आईआईटी खड़गपुर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एसके दुबे,एचएन पांडे, एसके वर्मा, सूर्यकांत पवार,निशा सिंह, प्रेमा जोशी, डॉ.नीना शर्मा,एस एन मिश्रा, देवेंद्र शुक्ला, शिव प्रकाश दीक्षित, अजय द्विवेदी, धनंजय द्विवेदी, अनिल सिंह, धीरज पांडेय, पुस्पेंद्र मिश्रा एडवोकेट अमित कुमार भदौरिया तथा दयाशंकर पांडे, रामविलास अश्वनी सिंह विनोद कुमार यादव अभिषेक उपाध्याय राकेश गुप्ता, देवेन्द्र द्विवेदी, मेजर गौर, प्रकाश चंद तिवारी, तेज नारायण, दयानंद तिवारी ,वेद प्रकाश शुक्ला, अश्विनी सिंह, अभिजीत आनंद पत्रकार ,दयानंद तिवारी, तृप्ति भदोरिया, अजय कुमार पाल, रेनू त्रिपाठी, शरद मिश्रा, अश्वनी उपाध्याय, राजेश त्रिवेदी, भूषण शुक्ला तथा शिव शंकर पांडे, राम मनोरथ अवस्थी, मनोज गौड़, अखिलेश्वर त्रिपाठी उपस्थित थे। जयंती समारोह के अंत में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के मेधावी विद्यार्थियों अथर्व द्विवेदी, अनीशा सिंह, हरसिल अवधपाल, शताक्षी सिंह को भारतीय नागरिक परिषद की ओर से सम्मानित किया गया और योग्यता प्रमाणपत्र दिए गए।