कोरोना के खिलाफ जंग में स्वयं सहायता समूहों का मिला संग

आपदा काल में मास्क व सेनेटाइजर तैयार कर मदद को बढ़ाया हाथ

लखनऊ। कोविड-19 के खिलाफ चल रही जंग में हर कोई अपनी तरफ से यथासंभव मदद को आगे आ रहा है। शुरूआती जंग में ही यह बात साफ़ हो गयी कि इस वायरस को मात देना है तो मास्क और सेनेटाइजर जैसे अस्त्रों को अपनाना बहुत ही जरूरी है। एकाएक इनकी मांग बढ़ने और संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में किये गए लाकडाउन के चलते मार्केट में जब इनकी किल्लत सामने आई तो ऐसे में इस बड़ी जिम्मेदारी को पूरा करने का बीड़ा उठाया राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने। प्रदेश के समूहों ने लाकडाउन के दौरान करीब 94.46 लाख मास्क और 13,338 लीटर सेनेटाइजर तैयार कर आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को मुहैया कराया। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पीपीई किट व हैण्डवाश भी तैयार किया।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन के राज्य मिशन निदेशक सुजीत कुमार का कहना है लाक डाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों जैसे- पुलिस कर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों, गैर सरकारी संस्थाओं के लोगों को उच्च गुणवत्ता वाले मास्क और सेनेटाजर की सबसे अधिक जरूरत को देखते हुए विचार आया कि इसमें क्यों न मिशन के स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जाए। इसके बाद प्रदेश की इस फ़ौज ने बीड़ा उठाया और मुहिम में सराहनीय योगदान दिया। इसके बारे में उनको प्रशिक्षित भी किया गया, अब यह आगे भी उनकी कमाई का एक जरिया बन गया है, जिससे उनके जीवन स्तर में बड़ा बदलाव आएगा।

बस्ती जिले में बने सर्वाधिक मास्क

प्रदेश में समूहों द्वारा कुल तैयार 94,46,476 मास्क में बस्ती जिले ने सर्वाधिक 10.23 लाख मास्क जून माह तक तैयार किया था। दूसरे नंबर पर अम्बेडकरनगर रहा, जहाँ करीब 5.66 लाख, तीसरे स्थान पर रहे लखनऊ में करीब 4.34 लाख, चौथे स्थान पर रहे बिजनौर ने करीब 4.32 लाख और पांचवें स्थान पर रहे रामपुर ने चार लाख मास्क तैयार किये।

बांदा के समूहों ने तैयार किया पांच हजार लीटर सेनेटाइजर

बांदा जिले के समूहों ने 5000 लीटर सेनेटाइजर तैयार कर प्रदेश में अपने को सर्वोच्च साबित किया। जालौन ने 1900 लीटर, सोनभद्र ने 1330 लीटर, सिद्धार्थनगर ने 1280 लीटर और झाँसी ने 500 लीटर सेनेटाइजर तैयार किया। इसके अलावा प्रदेश के कई अन्य जिलों ने भी इसमें अपना योगदान दिया।

पीपीई किट, हैण्डवाश और कम्युनिटी किचेन में भी की मदद

स्वयं सहायता समूहों ने मांग के अनुसार 45,101 पीपीई किट भी इस दौरान तैयार किया । इसके अलावा 1128 लीटर हैण्डवाश भी बनाया। कम्युनिटी किचेन में भी सक्रिय भागेदारी निभाई।

आजीविका मिशन एक नजर

  • ग्रामीण महिलाओं को संगठित कर स्वयं सहायता समूहों का गठन
  • समूहों को बैंकों से जोड़ना और स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना
  • प्रदेश के सभी 75 जिलों के 591 विकास खण्डों में समूहों का गठन
  • प्रदेश में गठित कुल समूह- 3.6 लाख
  • प्रदेश में समूहों से जुड़ी कुल महिलाएं- 38 लाख

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