लम्बे समय तक उदासी, थकान व काम में मन न लगे तो हो जाएं सावधान
लखनऊ। कोरोना के चलते पिछले पांच-छह माह से जीवन में आए ठहराव और बदलाव को लेकर हर वक्त चिंतित रहना कहीं आप को अवसाद का शिकार न बना दे। तमाम सर्वे भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि इस आपदा काल में अवसाद के मामले एकाएक बढ़े हैं। ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य विभाग लोगों की काउंसलिंग से लेकर उनके इलाज तक की व्यवस्था में जुट गया है और सभी का सीधे-सीधे यही कहना है कि धैर्य बनाकर रखें, यह मुश्किल वक्त भी जल्द ख़त्म होगा। इसको लेकर चिंतित रहने से आप अपने साथ ही घर-परिवार को भी मुश्किल में डाल सकते हैं ।
मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी का कहना है कि जीवन की रेस में आगे बढ़ने की होड़ में जहां लोग अपने लिए भी बड़ी मुश्किल से समय निकाल पाते थे, वहीं कोरोना ने उस पर एकाएक ब्रेक लगा दिया है। ऐसे में लोगों को अपने कैरियर और भविष्य की चिंता सताने लगी है। जब हर किसी के लिए हालात एक जैसे हैं तो इसको चुनौती के रूप में लेते हुए हर किसी को इससे उबरने की कोशिश करनी है। इससे उबरने का यही रास्ता है कि आपको अपने अन्दर सकारात्मक सोच को विकसित करना होगा और नकारात्मक विचार को पीछे धकेलना होगा, तभी आप खुद को सुरक्षित रखने के साथ ही दूसरों को सुरक्षित बना सकेंगे।
यह लक्षण नजर आएं तो सावधान हो जाएं
लगातार या लम्बे समय तक उदासी, हमेशा थकान महसूस करना, सोने व खाने की आदतों में बदलाव आना, नकारात्मक विचारों का आना, जिन कामों के करने में खुशी होती थी उनमें मन न लगना और जीवन को निरर्थक समझने जैसे लक्षण नजर आयें तो पूरी तरह से सावधान हो जाएं। डॉ. सिद्दीकी का कहना है कि अगर यह लक्षण दो हफ्ते से अधिक समय तक महसूस हों तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अवश्य जाएं और समस्या पर खुलकर चर्चा करें, समाधान अवश्य निकलेगा। इसके अलावा जिसको भी अपना सबसे नजदीकी समझते हैं, उससे भी अपनी समस्या का जिक्र अवश्य करिए यकीन मानिए कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा।
डॉ. सिद्दीकी का कहना है कि लॉकडाउन के चलते आपस में लोगों का मेल-जोल कम हो गया है, जिसके चलते अवसाद और चिड़चिड़ापन की समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे में अगर परिवार के साथ हैं तो आपस में बातचीत करते रहें, एक-दूसरे की बात ध्यान से सुनें, बेवजह टोकाटाकी से बचें। यदि अकेले रह रहे हैं तो दिनचर्या में बदलाव लाएं, कोई फिल्म या सीरियल देखें और किताबें पढ़ें। ऐसे में जिसे अपना सबसे करीबी समझते हैं उसे वीडियो कॉल या फोन करके भी बातचीत कर सकते हैं, इससे बोरियत कम होगी। इसलिए इस मुश्किल वक्त में अपने को बिल्कुल अकेला न समझें। इसके साथ ही यह भी जानें कि इस मुश्किल वक्त से हर कोई गुजर रहा है, किसी की समस्या बड़ी है तो किसी की छोटी। इसलिए साहस रखकर मुश्किल वक्त से लड़ना है न कि उसके आगे नतमस्तक हो जाना है। आपका हौसला अवसाद को रोकने में मददगार होगा। अगर फिर भी अवसाद रहता है तो दवाएं और थेरेपी सेशन लेकर ठीक हो सकते हैं।
परेशान हैं तो सम्पर्क करें हेल्पलाइन पर
विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर सरकार तक को इस बात का एहसास है कि इन परिस्थितियों के चलते मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसीलिए सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-180-5145 या 1075 पर सम्पर्क करने को कहा है।