वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ‘आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी’ विषय पर दिया व्याख्यान
नई दिल्ली : राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि जीवंत लोकतंत्र ही भारत की मुख्य ताकत है। भारत का मुकाबला चीन नहीं कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो उद्यमी और निर्माता लोकतंत्र, मानवाधिकार और बाल शोषण के उन्मूलन को महत्व देते हैं वे साम्यवादी चीन के स्थान पर भारत के साथ समझौता करना चाहते हैं। सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी विषय पर व्याख्यान देते हुए राज्यपाल मिश्र ने यह बातें कहीं। इस व्याख्यान का आयोजन उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपने फेसबुक पेज पर किया। व्याख्यान के दौरान राज्यपाल ने यह भी कहा कि कोविड-19 के बाद दुनिया में भारत को एक बार फिर से नई शुरूआत करनी होगी। इसके लिए कई छोटे और मध्यम उद्यमियों को सरकारी प्रोत्साहन की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान वर्तमान में कोविड-19 के बाद की एक मूल अवधारणा है। यह एक महात्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है जिसका उद्देश्य सिर्फ कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से ही लड़ा नहीं बल्कि भविष्य़ के भारत का पुनर्निर्माण भी करना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद भारत को एक नई प्राणशक्ति और नई संकल्पशक्ति के साथ आगे बढ़ते हुए विश्व महाशक्ति बनना है।
कलराज मिश्र ने कहा कि भारत में स्वदेशी एक विचार के रूप में देखा जाता है जो भारत की संरक्षणवादी अर्थव्यवस्था का आर्थिक माडल रहा है। राष्ट्र इस विचार की वकालत भी करता रहा है। आत्मनिर्भर भारत बनाने में स्वदेशी का विचार अत्यधिक उपयोगी है। खादी ग्राम उद्योग के उत्पादों की बढ़ती मांग इसका उदाहरण है। उन्होंने आगे कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता का मतलब दुनिया से कनेक्शन तोड़ लेना नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के ऐसे दौर में जब अमरीका के स्टाक मार्केट की हर एक हलचल चीन और भारत के बाजारों पर सीधा असर डालती है, उस समय स्थानीय उत्पादों का उत्पादन करने और उन्हें प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने के लिए स्थानीय उद्यमियों और निर्माताओं को कुछ राशि भी देने की आवश्यकता है। व्याख्यान के दौरान राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि दक्षता में सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशी माडल ही भारत को आगे ले जा सकता है। ऐसे में जरूरत है लोकल चीजों को लेकर वोकल होने की। भारत का मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। चीन स्थित विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत को विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा।