लखनऊ : कोरोना संक्रमण को लेकर क्वेरेंटाइन सेंटर्स स्थापित किये गये हैं जहां पर आने वाले लोगों की मानसिक समस्याओं को दूर करने के सम्बन्ध में शासन ने काउंसलिंग की व्यवस्था की है| इस सम्बन्ध में मानसिक स्वास्थ्य के राज्य नोडल अधिकारी डा. सुनील पाण्डेय बताते हैं कि 6 अप्रैल से 15 जून तक इन सेंटर्स में कुल 49,329 लोगों की अब तक काउंसलिंग की जा चुकी है| लोगों को यह काउंसलिंग या तो फोन के माध्यम से दी गयी है या व्यतिगत रूप से मिलकर| क्वेरेंटाइन सेंटर्स पर लोगों को मनो-सामाजिक सपोर्ट देने के लिए टीमें काम कर रही है जिनमें साईकिएट्रिस्ट, क्लिनिकल सायकोलोजिस्ट, प्रशिक्षित मेडिकल ऑफिसर, साईकियेट्रिक सोशल वर्कर, सायकोलोजिस्ट्स, परामर्शदाता शामिल हैं| इसके साथ ही इसके लिए राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नम्बर– 18000-180-5145 पर भी परामर्श सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं| डा.सुनील पाण्डेय ने बताया कि प्रत्येक जिले में एक जिला स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है जिसमें राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कण्ट्रोल ऑफ़ कैंसर, डायबटीज, कार्डियो वस्कुलर डिजीज एवं स्ट्रोक (एनपीसीडीएस) के परामर्शदाता अपनी सेवाएं देते हैं| नशा मुक्ति एवं तम्बाकू छोड़ने से सम्बंधित सत्र भी इन परामर्शदाताओं द्वारा लिए जाते हैं|
डा. पाण्डेय ने बताया कि सेंटर्स पर आने वाले लोग चिंता, अवसाद और घबराहट जैसी समस्याओं ग्रस्त हैं| कुछ लोग इस बात से चिंता में हैं कि लॉकडाउन के कारण उनकी नौकरी चली गयी है| इस कारण वह एक्टिव डिप्रेशन कि स्थति में हैं इस तरह का डिप्रेशन कुछ समय के लिए होता है जो कि परिस्थितियों के ठीक होने के साथ सामान्य हो जाता है लेकिन जो लोग पहले से ही डिप्रेशन से ग्रसित हैं उनमें यह ठीक होने में समय लेता है| कुछ लोगों को इस बात का भय है कि क्या वह कभी ठीक हो पायेंगे या वह यहाँ से निकलकर क्या करेंगे| कुछ लोग इस बात से डरे हुए हैं कि जब वापिस वह अपने घर जायेंगे तो कहीं उनके परिवार वाले भी कोरोना से संक्रमित न हो जाएँ| ऐसे लोगों के साथ हम लोग सकारात्मक सोच रखने के लिए कहते हैं कि यह परिस्थितियां स्थायी नहीं हैं कुछ समय बाद सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो जायेगा आप संयम रखिये| अगर आप सावधानी बरतेंगे तो न तो आप संक्रमित होंगे और न ही आपके परिवार वाले| यहाँ आपको आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए ही रखा गया है |
डा पांडेय बताते हैं कि कोविड -19 के संक्रमण होने का डर, साथ ही नौकरी खो देना या नौकरी खोने का डर, घरों में ही बंद रहना, तथा लोगों से मिल जुल न पाने के कारण लोगों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और नकारात्मक विचार हावी हो रहे हैं जिससे उनका व्यवहार प्रभावित हो रहा है और लोगों में डिप्रेशन की समस्या बढ़ी है| डा.सुनील पाण्डेय ने बताया कि आज के समय में डिप्रेशन एक आम समस्या हो गयी है| इससे कोई एक विशेष वर्ग प्रभावित नहीं होता है बल्कि यह किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है| डिप्रेशन अचानक नहीं होता है। किसी व्यक्ति के व्यहार या उसके दैनिक जीवन में यदि 2 हफ्ते से अधिक असामान्य परिवर्तन दिखे तो उसे अनदेखा न करें। डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति अकेले रहना पसंद करते हैं। उन्हें दूसरों से अपनी बात करने में संकोच होता है| यदि संवेदहीनता के कारण लोग उनकी बातों को ध्यान से नहीं सुनते हैं तो वह अन्दर से टूट जाते हैं। गंभीर डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति में आत्महत्या के विचार आते हैं। ऐसे व्यक्तियों को तुरंत प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखाना चाहिए। समय से इलाज और परामर्श के द्वारा ऐसे मरीजों का पूर्णतया इलाज संभव है। यह कोई लाइलाज समस्या नहीं है। केवल जागरूकता की जरूरत है।