संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख रहीं सविंदर हरदेव का अंतिम संस्कार बुधवार को निगम बोध घाट पर किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में देशभर से आए उनके लाखों अनुयायी हिस्सा ले रहे हैं। उनका निधन (5 जून) रविवार को हुआ था।
उनकी अंतिम यात्रा बुधवार सुबह नौ बजे समागम मैदान संख्या आठ से प्रारंभ हो चुकी है। यह यात्रा पहले चरण में बुराड़ी बाइपास, निरंकारी कॉलोनी, परमानंद कॉलोनी, किंग्जवे कैंप होते हुए माल रोड स्थित विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तक पहुंचेगी, जिसमें लोग विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तक पैदल चलेंगे।
इसके बाद लोग वाहनों से दिन के 12 बजे के बाद निगम बोध घाट पहुंचेगे, जहां निरंकारी माता सविंदर हरदेव का सीएनजी चालित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम यात्रा के दौरान यातायात व्यवस्था आदि को लेकर सेवा दल के कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई है।
यातायात पुलिसकर्मी भी रहेंगे तैनात
निरंकारी माता सविंदर हरदेव महाराज की अंतिम यात्रा सुबह नौ बजे शुरू हो चुकी है। ऐसे में बुराड़ी बाइपास से लेकर किंग्जवे कैंप व किंग्जवे कैंप से निगम बोध घाट तक जाम लग सकता है। यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तक पैदल ही पहुंचेंगे। ऐसे में इन मार्गों पर जाम लग सकता है।
संभावित जाम को देखते हुए बुराड़ी बाइपास से लेकर निगम बोध तक जाने वाले मार्ग पर जाने से परहेज कर जाम से बचा जा सकता है। दूसरी ओर इस अंतिम यात्रा को लेकर यातायात पुलिस की भी ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा यात्र के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गई है।
यहां पर बता दें कि वह काफी समय से बीमार थी और इसके चलते पिछले महीने 17 जुलाई को माता सविंदर ने मिशन के छठवें सद्गुरु के रुप में अपनी छोटी बेटी सुदीक्षा को जिम्मेदारी सौंपी दी थी। संत निरंकारी मिशन के मीडिया प्रभारी कृपा सागर एवं विजय झाबा के अनुसार मिशन की सद्गुरु के रुप में माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव महाराज रहेंगी।
निरंकारी कॉलोनी में छाया मातम
संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख सविंदर हरदेव के निधन की खबर सुनकर उनके अनुयायियों को गहरा सदमा लगा है।
सविंदर कौर ने बाबा हरदेव सिंह से की थी शादी
बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को दिल्ली में हुआ था। 1980 में पिता की मौत के बाद उन्हें निरंकारी मंडल का मुखिया बनाया गया था। इसके पूर्व वह 1971 में निरंकारी सेवा दल में शामिल हुए थे। 1975 में उन्होंने फर्रुखाबाद की सविंदर कौर से शादी की थी।
1929 में निरंकारी मिशन की हुई स्थापना
संत निरंकारी मिशन की 1929 में स्थापना हुई थी। इस मिशन की 27 देशों में 100 शाखाएं चल रही हैं। भारत में भी तकरीबन हर राज्यों में लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं। बाबा हरदेव सिंह को विश्व में मानवता की शांति के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ भी सम्मानित कर चुका है। निरंकारी मंडल की ओर से बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है। इसमें भारत समेत दुनिया भर के लाखों भक्त भाग लेते हैं।
जानें कौन थे बाबा हरदेव सिंह निरंकारी
संत निरंकारी मिशन के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली के संत निरंकारी कॉलोनी स्थित रोजेरी पब्लिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी। उसके बाद 1963 में उन्होंने पटियाला के बोर्डिंग स्कूल यादविंद्र पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने 1971 में एक सदस्य के रूप में निरंकारी सेवा दल ज्वॉईन कर लिया। 1975 में एक वार्षिक निरंकारी संत समागम के दौरान दिल्ली में उनकी शादी सविंदर कौर से हुई। अपने पिता की मौत के बाद 1980 में वे संत निरंकारी मिशन के मुखिया बने। उन्हें सतगुरू की उपाधि दी गई। 1929 में बाबा बूटा सिंह द्वारा संत निरंकारी मिशन की स्थापना की गई थी।