वयं राष्ट्रे जागृयाम ।(51)
-विवेकानंद शुक्ला
Boycott China and Break China… Hit The Enemy Where It Hurts the most… जैसे चीन की तकनीकी चोरी की होती है वैसे ही चीन का आधा क्षेत्र भी पड़ोसियों से हड़पा हुआ है… दुश्मन को मारना है तो उसकी कमज़ोर कड़ी पर प्रहार करना चाहिए। चीन से निपटने के लिए केवल सामरिक ही नहीं चीन के आर्थिक और आन्तरिक मामलों पर चोट करना बेहद ज़रूरी है। सेना अपनी कार्यवाही कर रही है। इण्डियन आर्मी को फ़्री हैंड दिया जा चुका है। दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड बनने के बाद गलवान घाटी में हम चीन से बीस हो गए हैं। दौलत बेग ओल्डी में एयर स्ट्रिप और आर्मी बेस बनने के बाद चीन की स्थिति LAC पर बहुत नाज़ुक हो चुका है।
मगर चीन को सबसे ज़्यादा चोट हम आर्थिक और आंतरिक स्तर पर दे सकते हैं। चीन बिना व्यापार के ज़िन्दा नहीं रह सकता क्योंकि मात्रा कृषि के दम पर अपने नागरिकों का पेट तक नही भर सकता। हिंदुस्तान एक भावनाओं का देश है। चीन की पचासों साल से हेकड़ी देख कर अब आम हिंदुस्तानी भी अब Boycott China में मूड में आ रहे हैं। Confederation Of All India Traders (CAIT) पहले ही चीन के सामानों का बहिष्कार का निर्णय ले चुका है।भारत सरकार का टेलीकोम मिनिस्ट्री ने भी आदेश कर दिया कि BSNL और MTNL में 4G के लिए को भी उपकरण चीन से नही ख़रीदा जाएगा। आज रेलवे मिनिस्ट्री ने चीन के साथ सीमा विवाद और तनाव के बीच, बड़ा फैसला किया कि कानपुर- दीन दयाल उपाध्याय रेलवे सेक्शन के 417 किमी के सिग्नलिंग और टेलीकॉम का 471 करोड़ का कॉन्ट्रेक्ट रद्द किया जो Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal & Group Co. Ltd. को मिला था। अब सरकार को भी चाहिए कि WTO के नियमों के लूप होल्स का फ़ायदा उठाते हुए चीन के कम्पनियों के सभी ठेके निरस्त कर दे।
अब आते हैं चीन की आंतरिक स्थिति पर। जैसा मानचित्र नीचे दिया गया है उससे स्पष्ट है कि चीन का आधा क्षेत्र भी पड़ोसियों से हड़पा हुआ है… चीन के पास निम्नलिखित क्षेत्र हड़पा हुआ है
1-Chinese Occupied Manchuria(CoM)
2-Chinese Occupied South Mongolia(CoSM)
3-Chinese Occupied East
Turkestan(CoET)
4-Chinese Occupied Tibet(CoT)
5-Chinese Occupied Ladakh(CoL)
6-Chinese Occupied Yunnan(CoY)
7-Chinese Occupied Macau(CoM)
8-Chinese Occupied Hong Kong(CoHK)
चीन के इन आठों क्षेत्रों में किसी न किसी रूप में तनाव है और हर जगह विरोध प्रदर्शन जारी है। अभी हाल में ही अमेरिका ने तिब्बत को मान्यता देने की बात कही है। पूरी तुर्कीस्तान के उइगर (Uighur) मुसलमानों पर उत्पीड़न के मामले में अमेरिका ने सख्त रुख अपनाया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इस संबंध में एक बिल पर हस्ताक्षर किये हैं, उनकी मंजूरी के साथ ही यह बिल अब कानून बन गया है। प्रतिनिधि सभा और सीनेट ने विधेयक ‘उइगर मानवाधिकार नीति अधिनियम 2020’ मई में राष्ट्रपति को भेजा था।
हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों को बलपूर्वक चीन द्वारा दबाया जा रहा है।लद्दाख़ में भारत से एक अघोषित युद्ध में है ही। मतलब चीन अन्दर से उबाल रहा है बस फटने वाला है। केवल अपनी जनता को क़ाबू करने के लिए अपनी सैन्य शक्तियों का बेवजह प्रदर्शन करता रहता है।सोवियत रूस जैसे विखंडन के कगार पर है चीन। चीन जैसे विस्तरवादी और पड़ोसियों का क्षेत्र हड़पने वाला निरंकुश देश दुनिया में कोई नही है। चीन लोकतंत्र की हत्या करके तानाशाही के दम पर अपने सभी पड़ोसियों से अघोषित रूप से युद्धरत है।पूरा विश्व इस बात को देख रहा है। यूनाइटेड नेशन के सुरक्षा परिषद के सदस्य होने के कारण अपनी दादागिरी करता है।मगर अब क़ोरोना ने वैश्विक भू-राजनीति की स्थितियों में आमूल परिवर्तन ला दिया है ।WTO के अंदर से लेकर विश्व के सभी बड़े राष्ट्र चीन के विरोध में आ गए हैं।
अब ये समझने में मुश्किल नही है कि निरंकुश कम्युनिस्ट तानाशाह चीन लोकतंत्र का कितना बड़ा हत्यारा है और इसको समर्थन देने वाले कितने बड़े तानाशाही विचारधारा के हिंसक हैं जो लोकतंत्र के द्वारा मिली हुई अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का प्रयोग केवल लोकतंत्र की हत्या करने में कर रहे हैं। संविधान बचाने का नाटक केवल इनकी तानाशाही को छुपाने का तरीक़ा है। हिंदुस्तान के लेफ़्ट-लिबरल, अर्बन नक्सल्स और फेक्यूलर बुद्धिजीवी इसी नाटक के पात्र हैं जो अपना रोल प्ले कर रहे हैं। ये उरने मानसिक बीमार और बिके हुए स्वार्थी लोग हैं जिन्हें चीन की निरंकुशता, तानाशाही, पड़ोसियों के क्षेत्रों को हड़पना और लोकतन्त्र का अपहरण करना नहीं दिख रहा है। आख़िर ये हिंदुस्तान के लेफ़्ट-लिबरल, अर्बन नक्सल्स और फेक्यूलर बुद्धिजीवी हमें लोकतंत्र और मानवाधिकार का पाठ पढ़ाने से पहले ख़ुद की नज़रों में गिरकर मर क्यों नहीं जाते?
चीन के घुटने टेकने तक आर्थिक बहिष्कार जनता और सरकार द्वारा जारी रहना चाहिए। सभी पड़ोसियों के हड़पे गए क्षेत्रों को आज़ाद होने तक लोकतंत्र की चिंगारी बुझने नही देना है।विश्व के बहुसंख्यक लोकतांत्रिक देशों को चीन के लोगों को निरंकुश कम्युनिस्ट तानाशाह चीन के शासन से मुक्ति दिलाने के लिए कठोर प्रयास करना चाहिए। विश्व शांति के लिए विश्व के बहुसंख्यक लोकतांत्रिक देशों में फैले निरंकुश और हिंसक विचारधारा के पोषक चीनी एजेंटों पता लगा कर ठिकाने लगा देना होगा।
मेरा देश बदल रहा है, ये पब्लिक है, सब जानने लगी है… जय हिंद-जय राष्ट्र!