आपात स्थिति में जच्चा-बच्चा की जान बचाने की बतायी तरकीब

नई पहल : अब ऑनलाइन चलेगा स्वास्थ्य विभाग का एफआरयू सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम

लखनऊ : गर्भ में बच्चे के गले में नाल फंस जाए, गर्भवती में खून की ज्यादा कमी हो, गर्भ में जुड़वाँ बच्चे हों, गर्भवती को झटके आ रहे हों या ज्यादा ब्लीडिंग हो रही हो तो ऐसी दशा में चिकित्सक को जच्चा-बच्चा की जान बचाने के लिए क्या जरूरी कदम उठाने चाहिए, इसकी विधिवत जानकारी होना बहुत ही जरूरी होता है। इन्हीं बारीकियों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) और रीजनल रिसोर्स ट्रेनिंग सेंटर(आरआरटीसी) के सहयोग से प्रदेश की प्रथम संदर्भन इकाइयों (एफआरयू) के चिकित्सकों की ऑनलाइन ट्रेनिंग (वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यशाला-सीएमई) आयोजित करने का निर्णय लिया है।

आरआरटीसी के विशेषज्ञ सुरक्षित प्रसव व नवजात देखभाल के सिखायेंगे गुर

इस नई पहल की शुरुआत करते हुए महानिदेशक-परिवार कल्याण डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी ने कहा कि एनीमिया गर्भवती में एक बहुत ही सामान्य स्थिति है, जिसका जल्दी से जल्दी समाधान कर बेहतर परिणाम पाए जा सकते हैं । उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए आरआरटीसी के माध्यम से एफआरयू डाक्टरों के मार्गदर्शन, प्रशिक्षण व सलाह के लिए शुरू की गयी इस नई पहल के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू), लखनऊ और यूपी टीएसयू को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की महाप्रबंधक-मातृ स्वास्थ्य डॉ.उषा गंगवार ने कहा कि इस महामारी के समय में वर्चुअल सीएमई एक बेहतर विकल्प है। प्रतिभागी डाक्टरों को आरआरटीसी के माध्यम से केजीएमयू फैकल्टी द्वारा प्रशिक्षण का अच्छा अवसर मिला है। उनको इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहिए। डॉ. विनीता दास द्वारा एनीमिया पर दी गयी महत्वपूर्ण जानकारी को उन्होंने सराहा । उन्होंने कहा कि आरआरटीसी सरकार के लिए अब तक का सबसे अच्छा कार्यक्रम है और यूपी टीएसयू को वर्चुअल सीएमई के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।

केजीएमयू की प्रो. विनीता दास ने पहले बैच को एनीमिया पर दिया प्रशिक्षण

यूपी टीएसयू की डॉ.सीमा टंडन और डॉ बिदयुत सरकार ने सभी का स्वागत किया। निदेशक, मातृ-शिशु स्वास्थ्य (एमसीएच) डॉ हरिराम यादव ने एचडीपी और एनीमिया सेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन दोनों स्वास्थ्य स्थितियों के बेहतर प्रबंधन से मातृ एवं नवजात की बीमारी और मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। उन्होंने सरकार के मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए किये गए प्रयासों और सहयोग के लिए सभी वरिष्ट डाक्टर व प्रशिक्षकों का धन्यवाद किया। संयुक्त निदेशक डॉ. साधना ने भी सभी को धन्यवाद दिया।

अब ऑनलाइन एफआरयू का सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम

व्यापक आपातकालीन प्रसूति एवं नवजात देखभाल (सीएमओएनसी) में चिकित्सकों का क्षमता निर्माण कर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से यूपी टीएसयू द्वारा चलाये जा रहे प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम का संचालन अब ऑनलाइन व कोविड-19 के प्रोटोकाल पर आधारित होगा । इसके तहत प्रदेश के आठ मेडिकल कालेजों के नेटवर्क से बने आरआरटीसी के विशेषज्ञों द्वारा एफआरयू पर तैनात चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने की शुरुआत की गयी है। यह फैसला कोरोना महामारी के चलते लिया गया है। वर्चुअल सीएमई के माध्यम से केस स्टडी, डिमांस्ट्रेशान, वीडियो और पीपीटी के जरिये चिकित्सकों को आपात स्थितियों को सँभालने के गुर सिखाने के साथ ही उनके तमाम सवालों के जवाब भी इसके माध्यम से दिए जायेंगे। ज्ञात हो कि मातृ एवं नवजात जटिलताओं के बेहतर प्रबंधन द्वारा मृत्यु व बीमारी की दर को कम करने के उद्देश्य से यूपी टीएसयू ने वर्ष 2018-19 में प्रदेश में एमबीबीएस डाक्टरों/विशेषज्ञों के क्षमता वर्धन के लिए एफआरयू सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम का विस्तार किया था।

व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये भी की जाएगी मदद

इस प्रशिक्षण से सम्बंधित सामग्री और सूचनाओं की जानकारी देने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया जाएगा जिसमें एफआरयू चिकित्सक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक शामिल होंगे। इस प्रशिक्षण द्वारा जिला अस्पताल-एफआरयू और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-एफआरयू पर मातृ स्वास्थ्य की जटिलताओं के प्रबंधन और पूर्व रेफरल सेवाओं में प्रतिभागियों के ज्ञान और कौशल वृद्धि का प्रयास किया जाएगा ताकि मातृ मृत्यु दर में कमी लायी जा सके।

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