वर्चुअल मीडिया बैठक में विशेषज्ञों ने दी जानकारी
लखनऊ : कालाज़ार रोग के उत्तर प्रदेश से पूर्ण उन्मूलन में मीडिया की सक्रिय भूमिका पर ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा वृहस्पतिवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और अन्य सहयोगी संस्थाओं विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और सेंटर फॉर एडवोकेसी एन्ड रिसर्च (सीफार) के साथ समन्वय स्थापित करते हुए वर्चुअल मीडिया बैठक का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज से अनुज घोष ने बैठक के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात, कालाज़ार के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वी.पी. सिंह ने बताया कि कालाज़ार एक वेक्टर जनित रोग है जो कि बालू मक्खी के माध्यम से फैलता है| यह बालू मक्खी कालाज़ार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है| बालू मक्खी के पनपने के लिए अधिक नमी, गर्म तापमान, जमीन में जैविक पदार्थ जरूरी है| बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम स्थानों- जैसे कि दीवारों की दरारों, जानवर बंधने के स्थान तथा नम मिट्टी में पनपती है| यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो, और उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाज़ार हो सकता है| कालाज़ार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है जिसके कारण उसे दूसरे रोगों से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है|
उन्होंने यह भी बताया कि काला-अजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं; पहला-शीघ्र निदान और उपचार, दूसरा- कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि (आई.आर.एस)| आई.आर.एस. एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि, कालाज़ार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी से बचाव किया जा सके| आई.आर.एस. की प्रक्रिया साल में दो चरणों मानसून से पहले यानि मार्च से मई के बीच में और दूसरा चरण अगस्त से सितम्बर के बीच में संपन्न किया जाता है| आई.आर.एस. द्वारा वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम की प्रक्रिया, काला-अज़ार के उन्मूलन की रणनीति में अहम् भूमिका निभाती है; इसीलिए प्रदेश सरकार को कीटनाशक दवा का छिड़काव नियत योजना के अनुसार बिना किसी अवरोध के निरंतर संपन्न किया जाना अति-आवश्यक है ताकि, वर्ष 2020 तक इस बीमारी के पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके| डॉ, सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कालाज़ार से ग्रसित 6 जनपदों में 18 मई, 2020 से आई.आर.एस. अभियान शुरू किया गया है|
डॉ. सिंह ने सूचित किया कि पिछले 3 सालों में उत्तर प्रदेश ने ब्लॉक स्तर पर 10 हज़ार की जनसँख्या पर कालाज़ार का 1 से कम मरीज़ का कालाज़ार उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश में कालाज़ार के लगभग 120 केस थे जो, इस समय 97 रह गए हैं| उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6 जनपदों यथा बलिया, कुशीनगर, देवरिया, गाज़ीपुर, सुल्तानपुर और वाराणसी में कालाज़ार बीमारी के लिए एंडेमिक है और इन्हें मिलकर कलाज़ार से प्रभावित कुल 12 जनपद हैं| पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति के तहत आशा प्रतिदिन 50 से 100 घरों का भ्रमण करती है और यह पता लगाती है कि किस को 15 दिनों से ज्यादा बुखार तो नहीं आ रहा है क्योंकि अगर ऐसा है तो उस व्यक्ति को कालाज़ार होने की संभावना हो सकती है| कालाज़ार से संक्रमित व्यक्ति की नि:शुल्क जाँच एंडेमिक जनपदों के ब्लाकस्तरीय स्वास्थ्यकेन्द्रों पर और इलाज भी जिला अस्पतालों में नि:शुल्क किया जाता है|
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि एमबीसोम दवा से कालाज़ार रोगी का एक दिन में पूरा इलाज हो जाता है| डॉ.शर्मा ने कालाज़ार बीमारी के लिए सरकार द्वारा चलाये जा रहे अभियानों पर भी बहुमूल्य जानकारी दी| पाथ संस्था के डॉ. शोएब ने बताया कि यह बीमारी अधिकतर मुसहर / मलिन बस्ती और कुपोषित लोगो के जीवन पर अपना अधिक प्रभाव डालती है| सीफार की रंजना द्विवेदी ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता शीघ्रता से फैलती है| प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के ध्रुव ने बताया कि गांवों में कीटनाशक का छिड़काव और इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने में ग्राम प्रधानों की सशक्त भूमिका है | इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत करना चाहिए| अंत में अनुज घोष ने कहा कि कालाज़ार बीमारी के पूर्ण उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता भी बहुत आवश्यक है| प्रदेश के हर नागरिक को इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए अपने आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और अगर स्वयं या किसी में कालाज़ार से संक्रमित होने के लक्षणों का आभास हो तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य प्रदाताओं से संपर्क स्थापित करना चाहिए |