-राघवेन्द्र प्रताप सिंह
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती पर एक बार फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें। आपत्तियों को सरकार यूजीसी को प्रेषित करेगी। यूजीसी आपत्तियों का निस्तारण करेगी। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। उल्लेखनीय है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने नौ मई को संशोधित उत्तरमाला और 12 मई को परिणाम जारी किया था लेकिन एक-दो नंबर से फेल हो रहे सैकड़ों अभ्यर्थियों ने तकरीबन एक दर्जन प्रश्नों के उत्तर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की इलाहाबाद और लखनऊ खंडपीठ में 200 से अधिक याचिकाएं दाखिल की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार के मुताबिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है और कोर्ट ने अभ्यर्थियों को आपत्ति दर्ज करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इन आपत्तियों को सरकार यूजीसी के पास भेजेगी। यूजीसी एक विशेषज्ञ कमेटी बनाकर सभी आपत्तियों को निस्तारित करेगी।
बताया जा रहा है कि शिक्षक भर्ती का रिजल्ट जारी होने के बाद से विभाग याचिकाओं का जवाब लगाने में ही व्यस्त है। सर्वाधिक विवादित प्रश्न नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक से जुड़ा है। विषय विशेषज्ञों ने नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक मत्स्येन्द्रनाथ को माना है जबकि अभ्यर्थी साक्ष्यों के साथ गोरखनाथ सही जवाब बता रहे हैं। इसके अलावा भारत में गरीबी का आकलन किस आधार पर किया जाता है समेत अन्य प्रश्नों के उत्तर के खिलाफ अभ्यर्थियों ने याचिकाएं की है। विषय विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर पाठ्यक्रम से बाहर के पूछे गए हिन्दी के तीन प्रश्नों पर सभी को समान रूप से प्रत्येक प्रश्न के लिए एक-एक (कुल तीन-तीन नंबर) दिए जा चुके हैं।