कोर्ट ने सरकार से 3 हफ्तों में मांगा जवाब, अगली सुनवाई 18 जून को
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार की अपर मुख्य सचिव, रेणुका कुमार ने 1 मई 2020 को शासनादेश जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि लाॅकडाॅउन के कारण स्कूलों में तीन माह तक कोई पढ़ाई नहीं होगी इसलिए वर्तमान सत्र 2020-2021 में फीस बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। इस शासनादेश पर एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स (उत्तर प्रदेश) हाईकोर्ट पहुंची और उसके अधिवक्ता ने कहा कि सत्य यह है कि लाॅकडाउन शुरू होते ही 24 मार्च से स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी। यह पढ़ाई निरन्तर जारी है और 30 जून तक चलेगी तथा जब तक लाॅकडाउन रहेगा तब तक यह पढ़ाई जारी रहेगी। इसलिए यह कहना कि वर्तमान सत्र 2020-2021 में फीस वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है, यह सरासर अविचार पूर्ण एवं गैरकानूनी है। प्राइवेट स्कूलों की इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से 3 हफ्तों में जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 18 जून को होगी।
प्राइवेट स्कूल्स का कहना है कि आन-लाइन शिक्षा क्लासरूम में होने वाली पढ़ाई से ज्यादा कठिन है। क्योंकि इसमें पढ़ाने के पूर्व बहुत अधिक तैयारी करनी पड़ती है। तब ही ऑनलाइन टीचिंग संभव हो पाती है। एसोसिएशन आफ प्राइवेट स्कूल्स के अध्यक्ष अतुल कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों पर सरकार का यह शासनादेश तानाशाहीपूर्ण है और विधानसभा द्वारा पारित यूपी फीस रेगुलेशन एक्ट के पूर्णतया विरूद्ध है। बजट प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल कुमार ने कहा कि हमारे जैसे बजट प्राइवेट स्कूलों को किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिलती है। जिससे उनके खर्च कम नहीं होते है। क्योंकि बजट प्राइवेट स्कूलों की अधिकांश बिल्डिंग किराए पर हैं। जिनकी सफाई, पुताई, पेटिंग, मेंटेनेंस तथा स्कूल का बिजली का बिल, पानी का बिल, हाउस टैक्स, बढे हुए डीजल, पेट्रोल तथा पहिले से मंहगी स्टेशनरी इत्यादि के बढे हुऐ दामों के साथ ही साथ टीचर्स और अन्य शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन भी देना ही पड़ेगा।