देश में मातृ मृत्यु अनुपात में 8 अंकों की आई कमी

उपलब्धि

130 घटकर 122 प्रति लाख हुआ मातृ मृत्यु अनुपात
रजिस्ट्रार जनरल के नवीनतम जारी बुलेटिन का आंकड़ा

लखनऊ : भारत के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में एक वर्ष में 8 अंकों की कमी आई है। यह आंकड़ा एमएमआर पर भारत के रजिस्ट्रार जनरल के नवीनतम विशेष बुलेटिन का है। यह कमी इस लिहाज से भी खास है कि इसका अर्थ सालाना लगभग 2000 अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं की जान बचना है। 2014-16 में 130 / लाख जीवित जन्म से घटकर 2015-17 में 122 / लाख जीवित जन्म एमएमआर हो गया है (6.2 प्रतिशत की कमी)। इसका अर्थ है कि भारत ने 2025 तक एमएमआर कम करने का सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने में प्रगति की है। इस तरह 2030 से पांच साल पहले यह लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत 2020 तक 100 / जीवित जन्म के एमएमआर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य 11 राज्यों ने हासिल कर लिया है। ये राज्य हैं केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा। नवीनतम एमएमआर बुलेटिन की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के लिए पहली बार एमएमआर स्वतंत्र रूप से प्रकाशित किए गए हैं। कुल सात राज्यों – कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना ने एमएमआर में कमी दर्ज की है जो राष्ट्रीय औसत 6.2 प्रतिशत से अधिक या बराबर है। इस सफलता का मार्ग प्रशस्त करने वाले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों की सूची निम्न है:

1. आयुष्मान भारत हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर: आयुष्मान भारत (एबी) ‘सलेक्टिव एप्रोच से स्वास्थ्य सेवा से निरंतर स्वास्थ्य सेवा’ की ओर बढ़ने का प्रयास है जिसके तहत प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर हैं जिनमें बीमारी की रोकथाम, स्वास्थ्य संवर्धन, उपचार, पुनर्वास एवं दर्द निवारक सेवाएं शामिल हैं।

2. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए): स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने जून, 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) शुरू किया। पीएमएसएमए के तहत पूरे देश की सभी गर्भवती महिलाओं को सुनिश्चित दिन, निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण प्रसव-पूर्व सेवाएं दी जाती हैं।

3. सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): इस पहल का लक्ष्य रोकथाम योग्य सभी मातृत्व एवं नवजात मृत्यु  को रोकने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र आने वाली हर महिला और नवजात शिशुओं के लिए सम्मान, आदर और गुणवत्ता के साथ निःशुल्क स्वास्थ्य सुनिश्चित करना; उन्हें स्वास्थ्य सेवा देने से मना करने के मामले को बिल्कुल स्वीकार नहीं करना है। यह मां और शिशु दोनों के लिए जन्म का सकारात्मक अनुभव प्रदान करता है।

4. एमसीएच विंग्स: जिला अस्पतालों / जिला महिला अस्पतालों और ज्यादा मरीजों वाले उप-जिला स्वास्थ्य केंद्रों में भी अत्याधुनिक मातृत्व और बाल स्वास्थ्य विंग (एमसीएच विंग) के लिए स्वीकृति दी गई है। ये गुणवत्तापूर्ण प्रसूति और नवजात शिशु देखभाल के एकीकृत केंद्र होंगे। 650 मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग (एमसीएच विंग्स) के साथ 42000 से अधिक अतिरिक्त बिस्तरों के लिए स्वीकृति दी गई है।

5. दक्षता: भारत सरकार ने 2015 में ‘दक्षता’ नामक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। यह स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल के निर्माण के लिए एक रणनीतिक 3-दिवसीय प्रशिक्षण कैप्सूल है, जिसमें डॉक्टर, स्टाफ नर्स और एएनएम शामिल हैं।

6. मातृ मृत्यु निगरानी और कार्यवाही (एमडीएसआर) :  एमडीएसआर के तहत पूरे देश में मातृ मृत्यु समीक्षा को संस्थागत रूप दिया गया है जो स्वास्थ्य केंद्र और समुदाय दोनों में मृत्यु के न केवल चिकित्सा कारणों बल्कि सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक कारणों की पहचान करते हैं।

7. जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) : प्रसव और प्रसव के बाद देखभाल के साथ नकद की मदद। गर्भवती महिलाएं जो प्रसव के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्र जाती हैं उन्हें स्वास्थ्य संस्थान में ही उनके हक की पूरी नकद सहायता राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाता है।

8. जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके): इस पहल के तहत सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव निःशुल्क है और अन्य खर्चे भी नहीं करने होंगे। यहां तक कि आॅपरेशन (सीजेरियेन) से शिशु को जन्म देना भी निःशुल्क है।

9. ‘लक्ष्य’ प्रोग्राम (लेबर रूम क्वालिटी इंप्रूवमेंट इनिशिएटिव): इस प्रोग्राम का लक्ष्य लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में उपचार की गुणवत्ता सुधारना है। इससे रोकथाम योग्य मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर, बीमारी का खतरा और निर्जीव शिशु के जन्म की समस्या कम होगी।

10. मिडवाइफरी: गर्भवती महिला और नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने और उनकी सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व नीतिगत निर्णय लेते हुए देश में मिडवाइफरी सेवाओं की शुरुआत की है। इस पहल का शुभारंभ दिसंबर 2018 में नई दिल्ली में पार्टनर्स फोरम के आयोजन में किया गया।

11. राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) : किशोरों के स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए भारत सरकार का कार्यक्रम।
12. एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम : भारत सरकार ने प्रधानमंत्री सर्वव्यापी संपूर्ण पोषण अभियान के तहत एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) की रणनीति लागू की है और एनीमिया में प्रति वर्ष 3 प्रतिशत कमी करने का लक्ष्य रखा है। एएमबी के तहत 6ग्6ग्6 रणनीति के तहत छह आयुवर्ग, छह प्रयास और छह संस्थागत व्यवस्था की गई है।

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