राज्य सरकारों के सहयोग से होगा संरक्षण का कार्य
नई दिल्ली : केन्द्र सरकार अगले 5 सालों में 1000 आर्द्रभूमि (वेटलैंड) की न सिर्फ पहचान करेगी बल्कि उसे संरक्षित भी करेगी। इसके तहत देश के हर जिले में कम से कम 2 आर्द्रभूमि चिह्नित की जाएगी जिसके संरक्षण का कार्य राज्य सरकारों के सहयोग से किया जाएगा। दरअसल, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि योजना को भारत सरकार अब देश के हर जिले में पहुंचाना चाहती है। प्रधानमंत्री के 100 दिन के प्रोगाम के तहत 130 आर्द्रभूमि पायलट योजना चलाई गई थी और तब आर्द्रभूमि के चिह्निकरण और उनके पारिस्थितिक का मूल्यांकन और प्रबंधन की एक योजना तैयार की गई थी। उस 130 आर्द्रभूमि की योजना को अब 1000 तक करने की योजना है। इसका कारण यह है कि आर्द्रभूमि मानव सभ्यता के अस्तित्व और लोगों की कई जरूरतों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही नहीं, पानी को स्वच्छ रखने, बाढ़ नियंत्रण, कार्बन को सोखने, भूजल स्तर को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी आर्द्रभूमि का अहम रोल होता है। आर्द्रभूमि में शहरों से निकलने वाले गन्दे पानी को प्राकृतिक तरीके से ट्रीट कर उसे सिंचाई लायक बनाने की भी क्षमता होती है।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आर्द्रभूमि 16 हैं तो मध्य प्रदेश में 13, जम्मू-कश्मीर 12, गुजरात में 8, कर्नाटक में 7 और पश्चिम बंगाल में 6 आर्द्रभूमि है। इसरो ने सेटेलाइट के आधार पर राष्ट्रीय वेटलैंड्स मानचित्र प्रदान किए हैं जिसके आधार पर 2 लाख से अधिक वेटलैंड्स का नक्शा तैयार किया गया, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 4.63% है। दुनिया भर में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1971 में इसी दिन वेटलैंड्स को बचाने के लिये ईरान के रामसर में पहला सम्मेलन किया गया था। इसलिये इस सम्मेलन को रामसर सम्मेलन (कन्वेंशन) भी कहा जाता है। आर्द्रभूमि न केवल बनावट और चरित्र में तालाब व झील से अलग होती है, बल्कि इसका किरदार भी दूसरी वाटरबॉडीज से अलहदा और महत्त्वपूर्ण है।