मध्य प्रदेश के चर्चित कलेक्टर थप्पड़ कांड से पैदा हुए आइएएस-आइपीएस विवाद की आंच प्रदेश के पुलिस मुखिया (डीजीपी) वीके सिंह तक पहुंच गई है। राज्य सरकार ने उन्हें हटाने की जमीन तैयार कर ली है।
डीजीपी पर आरोपों की फेहरिस्त काफी लंबी है
सिंह पर आरोपों की फेहरिस्त काफी लंबी है, लेकिन थप्पड़ कांड में कलेक्टर निधि निवेदिता के खिलाफ कार्रवाई के लिए गृह विभाग को उनका पत्र व उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का खुला समर्थन सरकार से तकरार का बड़ा सबब है। हालांकि, देर रात सीएम से मुलाकात के बाद डीजीपी संतुष्ट नजर आए।
राजगढ़ कलेक्टर ने भाजपा कार्यकर्ता व पुलिसवाले को मारा था
गौरतलब है कि राजगढ़ की कलेक्टर निधि निवेदिता ने सीएए के समर्थन में रैली के दौरान एक भाजपा नेता को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद निवेदिता के पुराने थप्पड़ मामले भी उजागर हुए थे। उन्होंने एक एएसआइ को भी थप्पड़ मारा था। इसी मामले में वीके सिंह ने कलेक्टर पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। डीजीपी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने निवेदिता का अभिमत नहीं लिया था।
यूपीएससी को भेजना होगा नए डीजीपी के लिए नामों का प्रस्ताव
नए डीजीपी के रूप में सरकार यदि स्पेशल डीजी एवं हनीट्रैप मामले में गठित एसआइटी प्रमुख राजेंद्र कुमार की ताजपोशी करती है तो उसे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नए डीजीपी के लिए नामों का प्रस्ताव भेजना पड़ेगा। इसके बाद अगले चार-पांच दिन बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का रोड़ा
सुप्रीम कोर्ट की वर्ष 2006 की गाइडलाइन के अनुसार टीआइ, एसपी, आइजी और डीजीपी को दो साल के कार्यकाल से पहले नहीं हटाया जा सकता। उन्हें हटाने के लिए ‘एक्शन’ लेना होगा, इसलिए शासन को कोई कारण बताकर पुलिस प्रमुख पद पर बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार करनी पड़ेगी। डीजीपी सिंह को चार्जशीट भी देना होगी।
इन मामलों से भी सरकार खफा
-बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में डीजीपी का रुख।
-मनावर में उन्मादी भीड़ द्वारा किसान की हत्या व भारी हिंसा।
-‘महिलाएं घर से बाहर निकलती हैं, इसलिए रेप होता है’ जैसे विवादित बयान।
कलेक्टर को बचाने की खातिर हटा रहे : सांसद
खजुराहो के भाजपा सांसद वीडी शर्मा ने आरोप लगाया है कि एसआइ और भाजपा नेता को थप्पड़ मारने वाली राजगढ़ कलेक्टर को बचाने की खातिर कमलनाथ सरकार डीजीपी वीके सिंह को हटाने की कार्रवाई कर रही है।
असंतोष जैसा कुछ नहीं : गृहमंत्री
मप्र के गृहमंत्री बाला बच्चन का कहना है कि डीजीपी वीके सिंह की कार्यशैली को लेकर सरकार के असंतोष जैसा कुछ भी नहीं। सिंह को हटाने के सवाल पर उन्होंने कोई जानकारी नहीं होने की बात कही।
वरिष्ठता की अनदेखी की तो मामला पहुंचेगा कोर्ट
डीजीपी को हटाने की तैयारी से मप्र के आइपीएस अफसर खफा हैं। कुछ वरिष्ठ अफसरों ने सवाल उठाते हुए साफतौर पर संकेत दिया कि सरकार ने वरिष्ठता को नजरंदाज किया तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। राज्य सरकार सबसे पहले ये बताए कि यूपीएससी के पैनल को अस्वीकार करने के क्या कारण हैं? नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर उन्होंने कहा कि अब तक मध्य प्रदेश की परंपरा रही है कि पुलिस और वन विभाग में वरिष्ठ अफसर ही मुखिया बनता आया है। इसको तोड़ने का प्रयास हुआ तो वे अदालत में चुनौती देने से नहीं हिचकेंगे।
यूपीएससी को दोबारा प्रस्ताव भेजकर पैनल बनवाना
अफसरों ने कहा कि यूपीएससी को दोबारा प्रस्ताव भेजकर पैनल बनवाने का मतलब यही है कि पैनल के तीनों अधिकारियों (वीके सिंह, विवेक जौहरी एवं मैथिलीशरण गुप्त) को सरकार पुलिस प्रमुख के रूप में नहीं चाहती। स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार वरिष्ठताक्रम में छठवें क्रम के अधिकारी हैं।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद संतुष्ट दिखे सिंह
वीके सिंह ने शनिवार देर रात मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की। इसके बाद वह संतुष्ट दिखे। उधर, मप्र सरकार यूटर्न लेती दिखाई पड़ी। कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार विवेक जौहरी की सहमति के साथ सिंह को ही इस पर नियमित करने का प्रस्ताव यूपीएससी को भेज सकती है। ऐसे में यूपीएससी की अगली बैठक के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी।