निर्भया कांड के दोषियों को फांसी दिए जाने के बारे में दाखिल केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को दोषियों द्वारा मौत की सजा से बचने के लिए अपनाए जा रहे देरी के पैंतरों पर कहा कि राष्ट्र के धैर्य की बहुत परीक्षा हो चुकी है। अब कोर्ट को कानून तय करना चाहिए।
तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया, मुकेश के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं। बाकी के दो दोषियों अक्षय और विनय की भी क्यूरेटिव पेटिशन और दया याचिका खारिज हो चुकी हैं। चौथे दोषी पवन ने न तो क्यूरेटिव और न ही दया याचिका दाखिल की है। तुषार मेहता ने कहा कि दोषी जानबूझकर देरी के पैंतरे अपना रहे हैं।
दोषियों को नोटिस जारी नहीं किया
शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में दोषियों को कानूनी विकल्प अपनाने के लिए दिए गए एक हफ्ते के समय को देखते हुए केंद्र सरकार की याचिका पर 11 फरवरी को दोपहर में सुनवाई का फैसला किया है। केंद्र सरकार के बार-बार आग्रह पर भी कोर्ट ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए दोषियों को नोटिस जारी नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि इससे मामले में देरी होगी। केंद्र ने दोषियों का डेथ वारंट रद करने के आदेश को चुनौती दी थी।
बता दें कि हाई कोर्ट ने दोषियों के कानूनी विकल्प समाप्त होने पर अलग-अलग फांसी देने की इजाजत मांगने वाली केंद्र की याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि दोषी एक हफ्ते में कानूनी विकल्प अपना सकते हैं। यह अवधि मंगलवार को समाप्त हो रही है।
वहीं, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को अहम सनवाई में तिहाड़ जेल प्रशासन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चारों दोषियों के लिए नया डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी।