कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने लगाया अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2017 में तत्कालीन पंचायती राज निदेशक विजय किरन आनन्द ने राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन द्वारा की गयी अनियमितता की शिकायत एवं चल रही जांच के दौरान ही दोबारा लगभग 394 करोड़ रुपये परफार्मेन्स ग्रान्ट जारी कर इस सरकार में भ्रष्टाचार का खुला खेल होने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विजय किरन आनन्द मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियों में शामिल हैं और कुम्भ मेले के आयोजन की जिम्मेदारी भी इन पर थी और उसमें भी करोड़ों रुपये के व्यापक भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। विजिलेन्स की जांच में कुछ अधिकारियों पर मुकदमें दर्ज किए गए, लेकिन विजय किरन आनन्द पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया? प्रदेश अध्यक्ष ने राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन द्वारा की शिकायत के आधार पर कहा कि चौदहवें वित्त आयोग के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों को मिलने वाली परफार्मेन्स ग्रान्ट की लगभग 700 करोड़ रुपये की धनराशि बिना प्रचार-प्रसार और ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव मांगे बगैर अपात्र ग्राम पंचायतों को भी हस्तानान्तरित कर दी गई।
इसके साथ ही 60 हजार पंचायतों में से लगभग 1700 पंचायतों में यह धनराशि वितरित की गयी। उन्होंने कहा कि हास्यास्पद यह है कि जिन निदेशक पंचायती राज एवं उप निदेशक पंचायती राज के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जा रहे थे शासन ने उन्हीं को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने आनन-फानन में पन्द्रह दिन में जांच करा भ्रष्टाचार को ढकने की कोशिश की। कैग की रिपोर्ट में भी अनियमितता उजागर हुई और मात्र 56 ग्राम पंचायतों में ही कार्य की बात कही गयी। इसके बाद सरकार ने भ्रष्टाचार को छिपाने एवं चहेते अधिकारियों को बचाने के लिए लीपापोती शुरू कर दी। अजय लल्लू ने कहा कि यदि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गयी तो कांग्रेस पार्टी सड़क से लेकर सदन तक पुरजोर तरीके से लड़ेगी, किसी भी स्तर पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटने नहीं दी जाएगी।