NTD Day : उन्मूलन के लिए विश्व एनटीडी दिवस की शुरुआत
एनटीडी में हाथीपांव, कालाजार, कुष्ठ रोग और डेंगू बीमारी प्रमुख
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (हाथीपांव), विसेरल लीशमैनियासिस (काला-अजार), कुष्ठ रोग और डेंगू बीमारियों पर भी उतनी सक्रियता और सतर्कता की आवश्यकता है जितनी अन्य बीमारियों के प्रति हम जागरूक हैं। यह कहना है अपर निदेशक, मलेरिया एवं वेक्टर जनित रोग, उत्तर प्रदेश डॉ वीपी सिंह का। डॉ सिंह गुरुवार को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजी़जे़स (एनटीडी) दिवस की जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 30 जनवरी को पहला विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया। यह दिवस उन बीमारियों के लिए समर्पित है जो अक्सर नजरअंदाज की जाती हैं। इसमें हाथीपांव, काला-अजार, कुष्ठ रोग और डेंगू प्रमुख हैं। डॉ सिंह ने भारत में एनटीडी रोगियों का बोझ सबसे ज्यादा है और एनटीडी समूह में आने वाले हर रोग के सबसे ज्यादा रोगी भारत में ही हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में एनटीडी का बोझ सब जगहों पर बराबर है बल्कि ये बीमारियां शहरी व ग्रामीण गरीबी के इलाकों में ज्यादा देखी जाती है। भारत 2021 तक हाथीपांव और 2020 तक काला-अजार बीमारी के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है।
एक्सेलरेटेड प्लान फॉर एलिमिनेशन ऑफ़ लिम्फेटिक फ़ाइलेरियासिस के अनुसार, भारत में 16 राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, असम, गुजरात, गोवा, कर्नाटक) और 5 संघीय क्षेत्रों के 256 जिलों में 63 करोड़ लोगों को हाथीपांव से खतरा है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अनुमानित 16.5 करोड़ लोगों को काला-अजार बीमारी से खतरा है| गौरतलब है कि एनटीडी अधिकतर गरीब, कमजोर और हाशिये की आबादी को प्रभावित करता है किन्तु अन्य सामान्य लोग भी इससे अछूते नहीं है। इसमें शामिल है; हाथीपांव, काला-अजार, कुष्ठ रोग और डेंगू आदि। इस पर नियंत्रण पाए जाने के बावजूद एनटीडी, प्रभावित लोगों में पीड़ा, विकृति और विकलांगता का प्रमुख कारण बना हुआ है। दुनिया में एनटीडी से प्रभावित रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है| दुनिया के 149 देशों में एनटीडी सबसे गरीब और हाशिए पर जी रहे समुदायों के 1.60 अरब लोगों को पीड़ित किए हुए हैं।