हिंदी फिल्म के डायरेक्टर अमजद ख़ान की फ़िल्म ‘गुल मकई’ को लेकर फ़तवा जारी हुआ है। इसके साथ ही पाकिस्तानी एजुकेशन एक्टिविस्ट मलाला यूसुफ़जई पर आधारित इस फ़िल्म पर धार्मिक ग्रंथ के अपमान का आरोप लगा है। वही नोएडा स्थित एक मुस्लिम धर्म गुरु ने अपमान को लेकर फ़तवा जारी किया है। इसके अलावा , फ़िल्म के डायरेक्टर ख़ान का कहना है कि फ़िल्म की शुरुआत से ही उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। वही अब इसके बाद धर्मगुरु को फ़िल्म के पोस्टर को लेकर इश्यू है।
एक मिडिया रिपोर्टर से बात करते हुए डायरेक्टर अमजद ख़ान ने कहा, ‘नोएडा के एक व्यक्ति द्वारा अब फ़तवा लाया गया है।वही पोस्टर पर मलाला को एक किताब पकड़े हुआ दिखाया गया है और दूसरी साइड में ब्लास्ट का दृश्य है। उन्हें लगता है कि यह एक धार्मिक ग्रंथ है। ऐसे में उन्हें लगता है कि हमने पवित्र किताब को लेकर सम्मान नहीं दिखाया है। मुझे, वह क़ाफ़िर बुला रहे हैं।’ अमजद ख़ान ने आगे कहा, ‘मैं बात करने की कोशिश कर रहा हूं, जिसे समझा सकूं कि यह एक अंग्रेजी की किताब है।’ पुलिस केस को लेकर ख़ान ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि वह चीज़ों को समझने में सक्षम नहीं हैं। मैं शांति के लिए एक फ़िल्म बना रहा हूं। यदि मैं पुलिस केस फाइल करता हूं, तो वह उसे अंदर तक ले जाएगी। फिर आखिर में फ़िल्म ही क्यों बना रहा हूं?’
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ‘गुल मकई’ मलाला यूसूफ़ज़ई की बायोपिक है। इसे भारत में बनाया गया है। मलाला एक पाकिस्तानी लड़की हैं, जो शिक्षा के मौलिक अधिकार के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं। पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनख्व़ा इलाके में उन्होंने लड़कियों की एजुकेशन के लिए मुहिम छेड़ी । कुछ साल पहले मलाला पर तालिबान द्वारा जानलेवा हमला भी हुआ था। मलाला को साल 2014 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें और भारत के कैलाश सत्यार्थी को एक साथ शांति का नोबल दिया गया था।