आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और खराब खाने की वजह से महिलाओं में मासिक धर्म या पीरियड का अनियमित होना एक आम समस्या बन गया है। हालांकि यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन लंबे समय तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह इनफर्टिलिटी का लक्षण भी बन सकता है।
इनफर्टिलिटी की समस्या के चलते अक्सर लोगों की बच्चे पैदा करने की ख्वाहिश अधूरी रह जाती है। ऐसे में डॉक्टर IVF या इंट्रायूट्रिन इंसेमिनेशन प्रकिया के जरिए पुरुषों के स्पर्म को महिला के गर्भ में इंजेक्ट किया जाता है। हालांकि इसकी जांच करना जरूरी है कि स्पर्म हेल्दी हो और जींस द्वारा स्वीकार्य हो। हालांकि ब्रिटेन में स्पर्म डोनेट की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है।
डेली मेल की खबर के अनुसार ब्रिटेन में स्पर्म की कमी को पूरा करने के लिए हर साल डेनमार्क से 3000 और अमेरिका से 4000 स्पर्म सैम्पल मंगाए जा रहे हैं। इसके बाद भी वहां और फर्टिलिटी क्लिनिक खोलने की जरूरत महसूस की जा रही है। स्पर्म की कमी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने एक रास्ता निकाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फर्टिलिटी क्लिनिक को मृत व्यक्ति के शरीर से स्पर्म निकालने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। ऐसा करने से उन कपल्स को राहत मिलेगी जो इनफर्टिलिटी का शिकार होने की वजह से माता-पिता बनने से वंचित रह गए हैं।
वैज्ञानिकों का यह सुझाव ‘जर्नल ऑफ मेडिकल एथिक्स’ में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों का दावा है कि मृत व्यक्ति के स्पर्म को संबंधित महिला के गर्भ में दाखिल करने से किसी तरह का खतरा नहीं है। हालांकि स्पर्म के सैंपल की सही मेडिकल जांच करना एक आवश्यक शर्त होगी। मैनचेस्टर के प्रसिद्ध डॉक्टर जोशुआ पार्कर का कहना है कि ब्रिटेन में स्पर्म डोनेट की समस्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में मृत व्यक्ति के शरीर से स्पर्म निकालना एक बेहतर विकल्प है। डॉक्टरों का कहना है कि मृत्यु के बाद स्पर्म डोनेट करना न सिर्फ तकनीकी रूप से व्यवहारिक है, बल्कि नैतिक रूप से भी स्वीकार्य है। व्यक्ति के शरीर से स्पर्म निकालने वाली इस प्रकिया को मेडिकल भाषा में ‘इलेक्ट्रोएजाकुलेशन’ कहा जाता है।
पार्कर आगे कहते हैं कि हमें लगता है कि पुरुषों को स्वेच्छा से नैतिक तौर पर अपने स्पर्म डोनेट करने के लिए आगे आना चाहिए, ताकि मरने के बाद उसके शरीर में मौजूद शुक्राणुओं का इस्तेमाल किया जा सके।