राजपथ पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस परेड समारोह की बीते एक दशक से कमेंट्री करते आ रहे रिटा. कर्नल जीवन कुमार सिंह का कहना है कि वे हर वर्ष कुछ बेहतर और नया करने का प्रयास करते हैं। इस बार क्या है उनकी तैयारी? दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, हर बार कोशिश यही रहती है कि कुछ नया करूं, पहले से बेहतर और ऐसी प्रस्तुति दे सकूं कि श्रोता गणतंत्र के उत्सव का भरपूर आनंद उठा सकें। इस बार भी आपको नयापन अवश्य मिलेगा। 26 की सुबह की प्रतीक्षा करें…
जानने वाले जेके कहकर पुकारते हैं
इसमें कोई संशय नहीं कि वे जब बोलते हैं तो पूरा देश उन्हें ध्यान से सुनता है। उनकी बातें और इन्हें कहने का उनका अंदाज श्रोता के मन में उठने वाले राष्ट्रभक्ति के सभी भावों को संतुष्ट करता है। उनकी आवाज कभी सुनने वालों के रोंगटे खड़े करती है तो कभी भावनाओं में बहाकर ले जाती है। रिटायर्ड कर्नल जीवन कुमार सिंह को उन्हें जानने वाले जेके कहकर पुकारते हैं। 55 साल के जेके गणतंत्र दिवस परेड में कमेंटेटर की भूमिका निभान को अपने लिए सौभाग्य मानते हैं। उन्होंने गणतंत्र दिवस परेड की कमेंट्री का ढर्रा बदलकर उसे नया आयाम दिया है। कभी महज तथ्यों पर आधारित कमेंट्री में अपनी रचनाशीलता, ओजपूर्ण लेखनी और जादुई आवाज से शौर्य, ऊर्जा, बलिदान और समर्पण की भावनाएं भरी हैं।
जबर्दस्त लेखनी और वाणी के धनी
वर्ष 2010 से गणतंत्र दिवस परेड की कमेंट्री करने के अलावा जेके 2007 से सेना के कोलकाता स्थित पूर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम में होने वाले विजय दिवस समारोह के भी उद्घोषक हैं। ये उनकी जबर्दस्त लेखनी और वाणी का ही कमाल है कि सेना के राष्ट्रीय स्तर के सभी बड़े कार्यक्रमों में कमेंट्री करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया जाता है। जेके को शानदार कमेंट्री के लिए सेना की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। वे वर्तमान में झारखंड पुलिस में एसपी (स्पेशल टास्क फोर्स) के पद पर कार्यरत हैं।
जब सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा
धनबाद, झारखंड निवासी जेके अपने उद्घोषक बनने का श्रेय पत्नी नितिका को देते हैं। कहते हैं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक कार्यक्रम के लिए मैंने दूसरे अधिकारी को अभिभाषण लिखकर दिया था। जब उन्होंने इसे पढ़ा तो सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम में मौजूद मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि आप अपने लिखे अभिभाषण को इससे भी बेहतर तरीके से पढ़ सकेंगे क्योंकि इसमें आपकी रचनात्मकता और भावनाएं हैं। इसके बाद मैंने 2003 में शहीद लेफ्टिनेंट त्रिवेणी के स्मरण में आयोजित सेना के एक कार्यक्रम में पहली बार उद्घोषणा की, जिसे काफी पसंद किया गया। फिर तो यह सिलसिला शुरू हो गया।
आर्मी डे परेड के लिए कमेंट्री की
2005 से 2007 तक मैंने दिल्ली में आयोजित हुए इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में लगे रक्षा मंत्रालय के पवेलियन में बतौर उद्घोषक अपनी सेवाएं प्रदान कीं। रिटायर्ड कर्नल ने बताया, 2009 में मेरी पोस्टिंग दिल्ली में हुई। 15 जनवरी, 2010 को मैंने आर्मी डे परेड के लिए कमेंट्री की। उसी साल पहली बार राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड के लिए बोलने का मौका मिला। मैं इसके लिए काफी तैयारी करता हूं। आयोजकों की ओर से परेड में होने वाली मूल चीजें बता दी जाती हैं। मैं उसके अनुसार अपनी स्क्रिप्ट तैयार करता हूं। परेड की कमेंट्री डेढ़ से दो घंटे की होती है।
पीएम मोदी भी हैं मुरीद…
रिटा. कर्नल जीवन कुमार सिंह की आवाज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुरीद हैं। वह बताते हैं, पिछले साल फरवरी में दिल्ली में पूर्व सैनिकों के एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए पीएम मोदी ने मंच पर जाने से पहले मुझसे हाथ मिलाकर मेरी तारीफ की थी, हौसला बढ़ाया था। पिछले दिनों सेना के एक कार्यक्रम में उन्होंने मुझसे गणतंत्र दिवस परेड की तैयारियों के बारे में भी पूछा था। मैंने उन्हें इससे अवगत कराया।
जब हिजबुल के आतंकी कमांडर को मार गिराया…
जेके सिर्फ आवाज ही नहीं, वीरता के भी धनी हैं। 1993 में उन्होंने कश्मीर के बड़गांव जिले में हिजबुल के आतंकी कमांडर को मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके लिए उन्हें सेना में बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने सैनिक स्कूल, तिलैया से एनडीए की परीक्षा में टॉप किया था और पूरे भारत में तीसरे स्थान पर रहे थे। उनके पिता प्रह्लाद प्रसाद सिंह झारखंड पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी हैं। मां स्व. देवकी देवी आम गृहिणी थीं। परिवार में पत्नी व दो बेटियां सृष्टि जीवंतिका सिंह और संस्कृति जीवंतिका हैं।