बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा मंदिर में लगी लम्बी कतार
महास्नान पर्व को लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था कर रखी है। एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान जहां गंगा में किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद हैं, वहीं दशाश्वमेध से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक आला अफसर फोर्स के साथ लगातार भ्रमण करते रहे। उधर, मौनी अमावस्या पर्व पर पश्चिम वाहिनी गंगा में स्नान की परंपरा के तहत जिले के चौबेपुर क्षेत्र के बलुआ और कैथी घाटों पर भी बड़ी संख्या में ग्रामीण अंचल के लोग गंगा स्नान के लिए पहुंचे। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने गंगा स्नान के बाद पीपल वृक्ष की परिक्रमा की, तीर्थ पुरोहितों, भिखारियों को तिल, कंबल, वस्त्र, उड़द आदि अन्न का दान किया। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की गई। उल्लेखनीय है कि धर्म नगरी काशी में स्नान, दान का अपना अलग ही महात्म्य है। खासकर मौनी अमावस्या पर मौन रह पुण्यकाल में मोक्ष दायिनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से मान्यता है कि जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या वैसे तो हर महीने में दो बार पड़ती है, लेकिन माघ मास की अमावस्या का सनातन धर्म में अपना खास महात्म्य है। माघ मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है।