देहरादून/लखनऊ: उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में सामने आये कथित 300 करोड़ रुपये के एनएच—74 भूमि मुआवजा घोटाले में कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों के नाम आने की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि भ्रष्टाचार के किसी दोषी को नहीं छोड़ा जाएगा.
भ्रष्टाचार के प्रति अपनी सरकार की जीरो टालरेंस की नीति को दोहराते हुए रावत ने कहा कि घोटाले में लिप्त व्यक्ति चाहे निचले स्तर का कर्मचारी हो या कोई बड़ा नौकरशाह, उसे कार्रवाई का सामना करना होगा. यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. सरकार की नीति स्पष्ट है. छोटा हो या बड़ा, भ्रष्टाचार में लिप्त हर व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होगी. ऐसी चर्चा है कि कथित 300 करोड़ रुपये के घोटाले की तफ्तीश कर रहे विशेष जांच दल ने मुख्य सचिव को भेजी अपनी रिपोर्ट में पहली बार कुछ आइएएस अफसरों की भूमिका पर उंगली उठाई है.
मुआवजे में कथित 300 करोड़ रुपये का घोटाला
यद्यपि अधिकारी रिपोर्ट में इंगित किये गये अफसरों के नामों पर चुप्पी साधे हुए हैं, सूत्रों ने बताया कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की अनुमति भी ले ली गयी है. इस घोटाले के संबंध में अब तक विशेष जांच दल ने चार पीसीएस अधिकारियों समेत 20 व्यक्तियों को गिरफतार कर जेल भेज चुकी है. वर्ष 2011 से 2016 के बीच उधमसिंह नगर जिले में एनएच—74 के 300 किलोमीटर हिस्से के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित भूमि के एवज में बांटे गये मुआवजे में कथित 300 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. आरोप है कि कृषि भूमि को अकृषि भूमि में दर्शाकर कुछ चुनिंदा लाभार्थियों को वाजिब दाम से कई गुना ज्यादा मुआवजा दे दिया गया.