नई दिल्ली : ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा लगाने वाले भारत के महान नेता सुभाष चंद्र बोस का आज 122वां जन्मदिन है। हमारे देश के प्रति उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसे हम कभी नहीं भूल पाएंगे। बता दें कि उनके जीवन से ज्यादा चर्चा उनकी मौत की रही है जो कि आज तक रहस्य है। वहीं बॉलीवुड में भी सुभाष चंद्र पर कई सारी फिल्में बनी हैं जोकि सुभाष चंद्र के जीवन को अच्छे से बड़े पर्दे पर उतारने में कामयाब रही हैं। उनके जीवन पर आधारित पहली फिल्म साल 2005 में बनी थी जिसका नाम ‘सुभाष चंद्र बोस : द फॉरगॉटेन हीरो था। इस फिल्म को श्याम बेनेगल ने बनाई थी। वहीं फिल्म की जमकर तारीफ भी हुई थी। बता दें कि इस फिल्म में सचिन खेडेकर ने सुभाष चंद्र बोस का किरदार निभाया था जिन्होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया। दूसरी फिल्म ‘सुभाष चंद्र बोस: दि मिस्ट्री’ थी जिसमें उनकी जीवन से ज्यादा उनकी मौत के रहस्य को उजागर करने की कोशिश की गई थी। फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी।
वहीं तीसरी और आखिर फिल्म जिसने बड़े पर्दे पर सुभाष जी के जीवन को अच्छे से दर्शाने में कामयाब रही है, वह साल 2017 में आई ‘वेब सीरीज बोस : डेड/अलाइव’ है। इस वेब सीरिज में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका राजकुमार राव ने निभाई थी। बता दें कि राजकुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि ‘जब मैं नेताजी सुभाषचंद्र बोस वेब सीरीज कर रहा था तब मुझ पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। इस बात का एहसास था कि मुझे नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे महान नेता की भूमिका निभाने का अवसर मिल रहा है। उस भूमिका तक पहुंचने के लिए वजन बढ़ाया, अपने आधे बाल मुंडवाए ताकि उनके जैसा फिजिकली लगने की कोशिश कर सकूं। इसके अलावा मैंने बहुत पढ़ाई की।’
सुभाषचंद्र बोस की मौत का दावा सबसे बड़ा रहस्य
कहा जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 में ताइवान में हुए विमान हादसे में हो गई थी लेकिन इस बात पर संदेह करने के कारण मौजूद हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गुमशुदगी के मामले में यह अब तक का सबसे मजबूत तर्क माना जाता है। इसके मुताबिक आज से 70 साल पहले 18 अगस्त 1945 को ताइवान के नजदीक हुई एक हवाई दुर्घटना में नेताजी की मौत हो गई थी। भारत सरकार तथा इतिहास की कुछ किताबें भी इसी हवाई दुर्घटना को नेताजी की मुत्यु का कारण बताती हैं। बताया जाता है नेता जी को अंतिम बार टोक्यो हवाई अड्डे पर ही देखा गया था और वे वहीं से उस विमान में बैठे थे।
इस घटना के संबंध में दो अलग-अलग ऐसी बातें भी सामने आईं जिनके चलते इसकी सत्यता पर संदेह खड़ा हो गया। इनमें पहली बात तो यह थी कि नेताजी का शव कहीं से भी बरामद नहीं हो सका और दूसरी यह कि कई लोगों के मुताबिक उस दिन ताइवान के आस-पास कोई हवाई दुर्घटना घटी ही नहीं थी। खुद ताइवान सरकार के दस्तावेजों में भी उस दिन हुई किसी हवाई दुर्घटना का जिक्र नहीं है। ऐसे में कई लोग आज भी उनकी मौत की वजह कुछ और मानते हैं। नेताजी के जीवन पर ‘मृत्यु से वापसी, नेताजी का रहस्य’ नाम की पुस्तक लिखने वाले अनुज धर भी यही मानते हैं कि उऩकी मौत 18 अगस्त 1945 को नहीं हुई थी।
हालांकि नेता जी की बेटी अनीता बोस फाफ विमान दुर्घटना वाली बात से इत्तेफाक रखते हुए इसे ही उनकी मौत का कारण बताती हैं। जर्मनी में रहने वाली 74 वर्षीय अनीता, नेताजी की ऑस्ट्रियन पत्नी एमिली शेंकल से हुई उनकी इकलौती संतान हैं। लेकिन अनीता के ऐसा मानने के बाद भी इस बात पर संदेह करने के कई कारण हैं। एक खबर के अनुसार उस कथित विमान हादसे के समय नेताजी के साथ मौजूद कर्नल हबीबुर रहमान ने इस बारे में आजाद हिंद सरकार के सूचना मंत्री एसए नैयर, रूसी तथा अमेरिकी जासूसों और शाहनवाज समिति के सामने अलग-अलग बयान दिए थे, जिनके चलते भी उस हादसे की सत्यता पर सवाल खड़े होते हैं।