ईपीएस यानी कर्मचारी पेंशन स्कीम के तहत निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का इस बार बजट में ऐलान संभव है। यूनियनों की लंबे अरसे से ये मांग रही है और माना जाता है कि इस बार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट भाषण में इसका अवश्य जिक्र करेंगी।यूनियनों, खासकर भारतीय मजदूर संघ ने कुछ दिनो पहले श्रममंत्री संतोष गंगवार के साथ हुई बैठक में ईपीएस के मुद्दे का उठाया था और न्यूनतम पेंशन को मौजूदा 1000 रुपये से बढ़ाकर 6000 रुपये करने की मांग रखी थी। यही मांग बजट पूर्व चर्चा में वित्तमंत्री के समक्ष भी रखी गई थी।
यूनियनों का कहना है कि जब सरकार ने असंगठित कर्मचारियों तथा व्यापारियों तक के लिए अधिक पेंशन का प्रावधान कर दिया है तो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को उससे कम पेंशन का कोई मतलब नहीं है। ईपीएस में पेंशन सीमा बढ़ने के अलावा बजट में ईपीएस के कम्यूटेशन अथवा अग्रिम आंशिक निकासी का पुराना प्रावधान फिर से बहाल किया जा सकता है। कम्यूटेशन के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय भविष्य निधि के साथ पेंशन की कुछ राशि एकमुश्त तौर पर लेने का अधिकार होता है। लेकिन इससे मासिक पेंशन में 15 वर्षो तक एक तिहाई की कमी हो जाती है।
वर्ष 2009 में इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया था। परंतु पिछले दिनो ईपीएफओ ने इसे पुन: बहाल करने की सिफारिश सरकार से की है। इससे साढ़े छह लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। इसके अलावा निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की आमदनी बढ़ाने के अन्य उपाय भी सामने आने की संभावना है। जिनमें आयकर छूट की सीमा में बढ़ोतरी पर सभी की निगाहें हैं। लेकिन हम यहां उसकी चर्चा नहीं करेंगे। बल्कि हमारी नजर कर्मचारियों की भविष्य निधि यानी ईपीएफ तथा स्वास्थ्य बीमा अर्थात ईएसआइ यानी से जुड़े कदमों पर है।
इसके तहत ईपीएफ के शेयर बाजारों में निवेश के बारे में कोई ऐलान हो सकता है। जबकि नए ईएसआइ अस्पतालों तथा डिस्पेंसरियों के लिए अधिक आबंटन होने की भी संभावना है। श्रम मंत्रालय ने कर्मचारियों की शिकायतों के समाधान के लिए हाल ही में ‘संतुष्टि’ नाम से एक प्रकोष्ठ बनाया है। इस सिलसिले में ‘संतुष्टि’ नाम से ही एक पोर्टल लांच किए जाने की भी संभावना है जिसके बारे में बजट में ऐलान हो सकता है।