मनोज श्रीवास्तव /लखनऊ। हुनर और तज्ञयता किसी परिधि में बांधे नहीं जा सकते यह सब लिए समान उपयोगी होते हैं इस लिए हर कोई इसे अपने पास रखना ही चाहता है। यूँ ही कुछ जीवन रहा उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे का ,कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण और कठोर परिश्रम के कारण अब तक इनकी जहाँ तैनाती हुई वही कीर्तिमान स्थापित किये। प्रदीप दुबे देश की किसी भी विधानसभा में तैनात विधिक मामलों के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।
न्यायिक सेवा के अधिकारी रहे दुबे जुलाई १९९४ में यूपी राजभवन में तत्कालीन राजयपाल मोती लाल बोरा के विधि परामर्शी के रूप में नियुक्त हुए। कार्य प्रणाली ऐसी कि 15 वर्ष के कार्यकाल में कई वैचारिक प्रतिष्ठान के राज्यपाल यूपी के राजभवन में आये लेकिन राजनैतिक समन्यव का कभी अभाव नहीं रहा। मोती लाल बोरा कांग्रेस शासन में आये तो रोमेश भंडारी जनता दल की केंद्र में सरकार रहते नियुक्त किये गए थे। केंद्र में अटल जी की सरकार के समय सूरजभान यूपी के राज्यपाल बन क्र आये। उसके बाद विष्णुकांत शास्त्री।, टीवी राजेश्वर और पीके जोशी के साथ काम किये लेकिन कभी किसी टकराहट में नहीं पड़े।
जबकि मोती लाल बोरा ,रोमेश भंडारी और सूरजभान के कार्यकाल में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हुआ था और राजभवन प्रत्यक्ष शासन में था। राजभवन में रहते २००७ में विधानसभा के संसदीयकार्य का अतिरिक्त चार्ज मिला और ३१ जुलाई २००८ में प्रमुख सचिव विधानसभा की जिम्मेदारी मिली जो आज तक है। प्रदीप दुबे अकेले ऐसे व्यक्तित्व हैं जो उत्तर प्रदेश की विधानसभा में लगातार दस वर्षों तक प्रमुख सचिव के पद पर बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किये हैं। इस दौरान विधानसभा में बतौर विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर, माता प्रसाद पांडेय और वर्तमान में हृदय नारायण दीक्षित के साथ कुशल सदन संचालन का शानदार अनुभव रहा।जबकि मुख्यमंत्री के रूप में बसपा की कुमारी मायावती, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव का कार्यकाल पूर्ण कर वर्तमान में भाजपा के योगी आदित्यनाथ के साथ सदन का संचालन निष्पादित करा रहे हैं।इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री के रूप में इन्हें लालजी वर्मा बसपा, आजम खान सपा और वर्तमान कार्यकाल में सुरेश खन्ना भाजपा शासन में मिले हैं जबकि नेता विपक्ष के रूप में शिवपाल यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य,गया चरण दिनकर और वर्तमान में रामगोविंद चौधरी के साथ सदन संचालित कराने का शानदार कार्यकाल अनवरत जारी है। २५ वर्षों तक संसदीय और संवैधानिक पदों पर रह हुये पूरे कार्यकाल प्रदीप दुबे कभी किसी विवाद में नहीं उलझे।
इस सन्दर्भ में जब श्री दूबे से सम्पर्क किया कि आप विधानसभा में लगातार दस साल तक सेवा देने वाले पहले अधिकारी हैं इस उपलब्धि पर आप का क्या कहना है?तो वह चौंक गए और बहुत संकोच भाव से बोले दस साल हो गया,ये तो सोचा भी नहीं था।
जब पूछा गया कि आज की परिस्थतियों में पल भर में पार्टियों का ठप्पा लगता है आप तीन-तीन मुख्यमंत्रियों के साथ काम किये कभी कोई आरोप नहीं लगा और किसी पार्टी का ठप्पा नहीं लगा कैसे संभव हुआ ? साथ ही ये भी पूंछ लिया कि आप रहने वाले इटावा के जन्म से ब्राह्मण विधानसभा में दलित मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल के दौरान २००८ में तैनाती मिली,२०१२ मन मायावती से नाराजगी के बाद प्रदेश में स्थापित समाजवादी पार्टी और उसके बाद एकदम वैचारिक विरोधी भाजपा सरकार के साथ तार-तम्य बैठना कितना मुश्किल प्रयोग ? मंद मुस्कान में सब कुछ बता दिये बोले ” सेवा काल के दौरान जहाँ भी रहा निष्पक्षता, तत्परता, निजी इच्छाओं पर नियंत्रण और सहयोगियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोड़ रख कर सेवा करने की कोशिश किया हूँ। आगे भी सेवा निवृत्ति के बाद भी मैं घर नहीं बैठूंगा।