एबीवीपी से शुरू किया था सियासी सफर
नई दिल्ली : जगत प्रकाश (जेपी) नड्डा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के आम कार्यकर्ता के रूप में अपने सियासी सफर की शुरुआत की और सोमवार को वह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। वह भाजपा के 14वें राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लालकृष्ण आडवाणी सबसे ज्यादा तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। मृदुभाषी और विनम्र स्वभाव के नड्डा सांगठनिक कौशल और लक्ष्य को साधने के अद्भुत अंदाज की वजह से ही अपने सियासी सफर में इस मुकाम तक पहुंच सके और अमित शाह के उत्तराधिकारी चुने गए। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जेपी नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में दो दिसम्बर, 1960 को हुआ था। नड्डा जब 16 वर्ष की आयु के थे तभी वह जेपी आंदोलन से जुड़़ गए। एबीवीपी से जुड़ने के साथ ही उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और वर्ष 1982 में वह हिमाचल प्रदेश मे परिषद के प्रचारक के रूप में भेजे गए।
अपने समर्पण भाव और सांगठनिक विस्तार की क्षमता से वह एबीवीपी में अपना स्थान बनाते हुए आगे बढ़ते रहे और वर्ष 1989 में उन्हें राष्ट्रीय संगठन मंत्री का दायित्व सौंपा गया। नड्डा ने छात्र राजनीति से निकल वर्ष 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष का जिम्मा संभाला। तत्पश्चात वह पहली बार वर्ष 1993 में हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गए और वर्ष 1994 से 1998 तक राज्य विधानसभा में पार्टी के नेता रहे। वर्ष 1998 में ही उन्हें स्वास्थ्य और संसदीय मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया। वर्ष 2007 में वह फिर से विधायक चुने गए मुख्यममंत्री प्रेम कुमार धूमल की सरकार में वन-पर्यावरण व तकनीकी विभाग का जिम्मा संभाला।
नड्डा ने पहली बार वर्ष 2019 में राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा और उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा गया। इस दौरान उनके सांगठनिक कौशल से प्रभावित होकर राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें वर्ष 2012 में राज्यसभा का सदस्य बनाया। वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद उनको स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का दायित्व दिया गया। अपने मंत्रित्वकाल में उन्होंने प्रधानमंत्री की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफलता पूर्वक मुकाम तक पहुंचाया। वर्ष 2019 में दोबारा केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार की वापसी के समय ही नड्डा को संगठन में बड़ा दायित्व दिए जाने का संकेत उस वक्त मिल गया, जब उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। कुछ दिन बाद ही उन्हें भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। तत्पश्चात 20 जनवरी को वह निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हो गए।