आपदा के बाद उत्तरकाशी में जब पुनर्निर्माण के कार्य हुए तो भागीरथी (गंगा) नदी के दोनों ओर उत्तरकाशी, ज्ञानसू और जोशियाड़ा क्षेत्र में काफी जगह खुलकर निकली। इस खुले स्थान का उपयोग करने के लिए जिला प्रशासन ने यहां ‘आस्था पथ’ के निर्माण की योजना बनाई। लेकिन, स्वीकृति से पहले ही प्रस्तावित आस्था पथ को अतिक्रमण ने अपनी जद में ले लिया है। होना तो यह चाहिए था कि इन अवैध निर्माणों को हटाने के लिए कदम उठाए जाते, लेकिन यहां तो खुद नगर पालिका ने ही अवैध निर्माण किया हुआ है।
वर्ष 2012 और 2013 की आपदा के दौरान उत्तरकाशी में भागीरथी की बाढ़ से नदी के दोनों ओर भारी कटाव हुआ था। तब शहर की सुरक्षा के लिए भागीरथी के दोनों ओर दीवार लगाई गई। इससे दोनों ओर काफी खुली जगह निकली, जिस पर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षित आस्था पथ निर्माण की योजना बनाई गई। इसके लिए शासन को करीब नौ करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया। जिसे स्वीकृति का इंतजार है।
प्रशासन की मंशा मणिकर्णिका घाट, जड़भरत घाट, केदार घाट, तिलोथ पुल, इंद्रावती घाट, जोशियाड़ा घाट, जोशियाड़ा मोटर पुल और बैराज के अलावा ज्ञानसू से तांबाखाणी और मणिकर्णिका घाट को एक पथ से जोड़ने की है। इससे यात्री गंगा कि निर्मलता और उत्तरकाशी की सुंदरता को निहार सकें। लेकिन, नदी के किनारे खाली पड़ी इस भूमि पर उत्तरकाशी शहर और जोशियाड़ा की ओर से तेजी से अतिक्रमण हो रहा है। नतीजा, योजना को धरातल मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि आस्था पथ निर्माण को अभी वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। जहां तक जोशियाड़ा और उत्तरकाशी क्षेत्र में अतिक्रमण की बात है तो उसे ध्वस्त कराया जाएगा। ताकि यह महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर उतर सके। अतिक्रमण रोकने के लिए पालिका को भी निर्देश दिए गए हैं।
गंगोत्री क्षेत्र के विधायक गोपाल रावत ने बताया कि आस्था पथ योजना उत्तरकाशी और गंगोत्री के लिए बनाई गई है। इसके तहत गंगोत्री के लिए पांच करोड़ और उत्तरकाशी के लिए नौ करोड़ की धनराशि मांगी गई है। वित्तीय स्वीकृति जल्द कराने के लिए मैं स्वयं मुख्यमंत्री से बात करूंगा।