नई दिल्ली : भीम सेना के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने मांग की है कि सीएए में मुस्लिमों और तमिलों को शामिल किया जाए। तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर आजाद शुक्रवार को दिल्ली छोड़ने से पहले इंडियन वुमन प्रेस कॉर्प (आईडब्लूपीसी) में प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश संविधान के हिसाब से चलता है और सरकार को भी संविधान का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे नागरिकता कानून के खिलाफ कुछ नहीं कहते अगर इसमें मुस्लिम और तमिल लोगों को भी शामिल किया जाता। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के जरिए सरकार हिंदूओं और मुस्लिमों के बीच खाई पैदा कर देश को बांटना चाहती है। उन्होंने कहा कि एक बंटवारा आजादी के दौरान हुआ था और अब देश में धार्मिक बंटवारे की तैयारी चल रही है। संविधान के अनुच्छेद 51ए का हवाला देते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि धर्म के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए लेकिन सरकार के जितने भी फैसले हुए हैं उसने संविधान को कमजोर करने का काम किया है।
पाकिस्तानी दलित के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पहले देश के दलितों का ख्याल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा कर उन्हें जेल भेज दिया गया लेकिन वे तो संविधान की प्रस्तावना ही पढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें भी संविधान का सम्मान करना चाहिए। प्रधानमंत्री मन की बात करते हैं लेकिन एक महीने से शाहीन बाग में बु्जुर्ग महिलाएं सड़कों पर बैठ कर सीएए का विरोध कर रही हैं उनकी बात सुनने का उनके पास समय नहीं है तो वे गांव देहात के दबे कुचले लोगों की क्या बात सुनेंगे। अपनी आगे की रणनीति के बारे में बताते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि वे दलितों की आवाज बनेंगे और उन्हें एकजुट करेंगे। बता दें कि चंद्रशेखर आजाद को सीएए के विरोध में 20 दिसंबर को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। 17 जनवरी को उन्हें सशर्त जमानत मिली जिसके तहत उन्हें दिल्ली से बाहर रहने को कहा गया है।