तकनीक के अभाव में साइकिल उद्योग की रफ्तार लगातार धीमी हो रही है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 2001 में देश में 1.31 करोड़ और चीन में 5.5 करोड़ साइकिल का उत्पादन होता था। आज चीन में उत्पादन 17 करोड़ यूनिट सालाना के पार हो गया है। जबकि 19 साल के लंबे अंतराल के बाद देश में यह आंकड़ा केवल 1.75 करोड़ तक ही पहुंच पाया है। इसमें भी 50 लाख से अधिक साइकिलें विभिन्न राज्य सरकारें स्कूली छात्रओं को देने के लिए टेंडरों के जरिये खरीद रही हैं। इसके अलावा साइकिल एवं पाट्र्स का विदेश से आयात बढ़ रहा है।
साल 2018-19 में साइकिल एवं पाट्र्स का आयात करीब 2,200 करोड़ रुपये के आसपास रहा। आंकड़े जाहिर करते हैं कि घरेलू साइकिल मार्केट की ग्रोथ को आयात खा रहा है। नतीजतन साइकिल उद्योग के लिए घरेलू बाजार भी मुट्ठी से रेत की तरह फिसल रहा है। साइकिल उद्यमियों ने मांग की है कि बजट में साइकिल को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष पैकेज दिया जाए। इसके अलावा टेक्नोलॉजी बढ़ाने के उपाय किए जाएं।
इंडस्ट्री के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड उपलब्ध कराई जाए, ताकि बाजार की चुनौतियों का डट कर मुकाबला कर सर्के । उद्यमियों का तर्क है कि लुधियाना साइकिल उद्योग का गढ़ है। यहां पर साइकिल एवं पाट्र्स के करीब 4,500 यूनिट्स हैं। साइकिल उद्योग का सालाना कारोबार 7000 करोड़ से अधिक का है। 95 फीसद से अधिक इकाईयां सुक्ष्म, लघु व मध्यम सेक्टर में स्थापित हैं।
संसाधनों की कमी के कारण छोटी इकाईयां बाजार के साथ कदमताल नहीं मिला पा रही हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) के आंकड़ों के मुताबिक देश में साइकिल एवं पाट्र्स का आयात वर्ष 2017-18 में 21.7 करोड़ डॉलर (करीब 1,541 करोड़ रुपये) मूल्य का था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 21.99 करोड़ डॉलर (करीब 1,562 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। इसी तरह साइकिल एवं पाट्र्स का निर्यात वर्ष 2017-18 में 25.38 करोड़ डॉलर (करीब 1,802 करोड़ रुपये) था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 30.14 करोड़ डॉलर (2,140 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। साइकिल के अलावा व्हील, रिम, स्पोक, हब, ब्रेक, पैडल एवं सेडल का ज्यादा आयात किया जा रहा है।
तकनीक के अभाव में हाई-एंड साइकिलों के पुर्जे हो रहे आयात
बाईसाइकिल मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रधान एवं हाईबर्ड साइकिल्स के सीएमडी आरडी शर्मा का कहना है कि बदलते दौर में हाई-एंड साइकिलों का मार्केट बढ़ रहा है। मगर, तकनीक की कमी के कारण ज्यादातर हाई-एंड साइकिल एवं पुर्जे आयात किए जा रहे हैं। इसके लिए उद्योग को विश्व स्तरीय तकनीक की जरूरत है। ऐसे में सरकार तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए सहूलियतें एवं सब्सिडी दे। एमएसएमई सेक्टर में फंड की किल्लत को दूर करने के लिए बैंकों को निर्देश दिए जाएं कि वे आसान शर्तो पर इंडस्ट्री को ऋण मुहैया कराएं। इसके अलावा निर्यात को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त इनसेंटिव दिए जाएं।