सुरक्षित गर्भ समापन पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखी राय
लखनऊ : सुरक्षित गर्भसमापन विषय पर गुरुवार को परिवार कल्याण विभाग एवं उत्तर प्रदेश वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन (यूपीवीएचए) द्वारा आईपास डेवलपमेंट और साझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग से राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ.बद्री विशाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. बद्री विशाल ने कहा, सूबे में 15-16 फीसदी महिलाओं का ही सुरक्षित गर्भपात हो पाता है। इसके लिए हमें समुदाय को उचित परामर्श देने की आवश्यकता है। अनैच्छिक गर्भधारण और असुरक्षित गर्भपात से बचाव के लिए हमें दम्पत्तियों को परिवार नियोजन से जोड़ना चाहिए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा, एमटीपी एक्ट के द्वारा महिला को गर्भपात कराने का अधिकार दिया जा चुका है। केवल 10 फीसदी महिलाएं हीं सुरक्षित गर्भपात के लिए स्वास्थय सुविधाओं तक पहुँच पा रही हैं| इस विषय पर जनजागरूकता की आवश्यकता है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन, परिवार नियोजन की महाप्रबंधक डॉ.अल्पना शर्मा ने कहा कुल मातृ मृत्यु का 8 फीसदी मौतों का कारण असुरक्षित गर्भपात है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट सन 1971 में लागू हो गया था लेकिन बहुत ही कम लोग इसके बारे में जानकारी रखते हैं | लोग को जानकारी नहीं है की अगर उन्हें गर्भपात कराना है तो उन्हें कहाँ और किसके पास जाना है। इस विषय पर महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर परिवार कल्याण महानिदेशक द्वारा सुरक्षित गर्भपात पर आशा पुस्तिका ‘अनचाहे गर्भ से बचाव और उसका प्रबंधन’ का विमोचन किया गया। कार्यशाळा के दौरान पैनल डिस्कशन में जपाईगो के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. नदीम अख्तर ने ‘उत्तर प्रदेश में सुरक्षित गर्भपात के लिए साझेदारी बढ़ाने’ के विषय का सञ्चालन किया। इस अवसर पर 10 जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारी, परिवार नियोजन के नोडल अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला स्वास्थय शिक्षा एवं सूचना अधिकारी एवं सिफार, ममता आदि स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यशाला के अंत में यूपीवीएचए के अधिशासी निदेशक विवेक अवस्थी द्वारा कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद किया गया।