कोलकाता : कहते हैं “सारे तीरथ बार—बार, गंगासागर एक बार”। इस कहावत से ही पश्चिम बंगाल के इस महातीर्थ के आध्यात्मिक महत्व के बारे में समझा जा सकता है। चारों तरफ जंगल और नदी से घिरे सागर तट पर पहुंचना काफी दुर्गम है फिर भी देश दुनिया से लाखों तीर्थयात्री मकर संक्रांति के दिन पुण्य स्नान के लिए यहां हर साल पहुंच जाते हैं। इस बार भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दक्षिण 24 परगना के जिलाधिकारी की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि बुधवार को मकर संक्रांति के दिन तक कुल मिलाकर 46 लाख लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है। यह अब तक की सबसे अधिक भीड़ थी। इसके पहले इतने अधिक लोग कभी भी गंगासागर में नहीं पहुंचे। बताया गया है कि हर साल गंगासागर मेले के आसपास कुंभ का मेला भी पड़ जाता है जिसकी वजह से अधिकतर लोग कुंभ में चले जाते थे और गंगासागर में भीड़ अधिकतर 30 से 35 लाख तक होती थी। लेकिन इस बार सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं।
प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक त्रेता युग में स्वर्ग से उतरी मां गंगा ने सागर तट पर संक्रांति के दिन ही राजा सगर के उन हजारों पुत्रों को स्पर्श कर मोक्ष दिया था जो कपिल मुनि के श्राप से भस्म हो गए थे। उसके बाद से हर साल यहां संक्रांति के अवसर पर उसी क्षण मोक्ष की चाह लिए आस्था की डुबकी लगाई जाती है जब राजा सगर के पुत्रों को मां गंगा ने छुआ था। न केवल भारत बल्कि देश दुनिया से आस्थावान लोग यहां मोक्ष की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। हर साल की तरह इस साल भी राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। दुनिया के कई देशों से पुण्यार्थी यहां पहुंचे थे। इनमें अमेरिका, फ्रांस, बेलारूस, रसिया, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल भूटान और बांग्लादेश से भी भारी संख्या में तीर्थयात्री आए थे। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है कि पूरे मेले के दौरान गंभीर रूप से बीमार 4 रोगियों को हेलीकॉप्टर के जरिए कोलकाता के अस्पतालों में पहुंचाया गया। 102 रोगियों को वाटर एंबुलेंस यानी पानी के जहाज के जरिए कोलकाता और आसपास के अस्पतालों में लाया गया।