कोर्ट ने कहा, एफआईआर की सूचना उपलब्ध कराए दिल्ली पुलिस
नई दिल्ली : दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है। एडिशनल सेशंस जज कामिनी लॉ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ दायर सभी एफआईआर की सूचना उपलब्ध कराए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि हिंसा के सबूत कहां हैं? धरना देने में क्या ग़लत है, क्या आपने संविधान पढ़ा है। कोर्ट ने कहा कि आप ऐसे बात कर रहे हैं जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो। आप कानून का वो प्रावधान दिखाइए, जिसमें धार्मिक स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। चंद्रशेखर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। चंद्रशेखर ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ एफआईआर में कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
नौ जनवरी को कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को चंद्रशेखर का इलाज दिल्ली के एम्स अस्पताल में कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये साफ है कि चंद्रशेखर रावण ने जेल डिस्पेंसरी को बताया था कि उन्हें पॉलीसाइथेमिया है। उसके बाद उनकी इस बीमारी का इलाज किया जाना चाहिए था लेकिन जेल प्रशासन ने ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने कहा था कि संविधान की धारा 19 के मुताबिक राज्य हर व्यक्ति के जीवन की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है चाहे वो व्यक्ति निर्दोष हो या उसे दोषी करार दिया जाने वाला हो। आठ जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि अगर ज़रूरी हो आज़ाद को तुरंत मेडिकल सुविधा दी जाए। सात जनवरी को कोर्ट ने चंद्रशेखर की मेडिकल रिपोर्ट तलब की थी।