योगी ने दीप प्रज्जवलन कर राष्ट्रीय युवा महोत्सव का किया शुभारम्भ
कहा, कचोटते हैं कुछ चुनिंदा उच्च शिक्षण संस्थानों में लगने वाले नारे
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के कुछ चुनिंदा उच्च शिक्षण संस्थानों में लगने वाले नारे निरंतर हमें कचोटते हैं। जो हम सबको इस बारे में सचेत करते हैं कि इस देश के खिलाफ षड़यंत्र रचने वाले अड्डे कहां पर हैं। देश के संसाधनों पर पलने वाले लोग भारत को आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद की आग में झोंकने का प्रयास कर रहे हैं। उनके वक्तव्यों से इस बात की पुष्टि होती है। मुख्यमंत्री योगी ने स्वामी विवेकानंद जी की 157वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्र सेवा के लिए उनके योगदान को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। योगी ने रविवार को स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दीप प्रज्जवलित कर पांच दिवसीय राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आगाज किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज पूरा देश समाज और राष्ट्र के प्रति उस युवा सन्यासी के योगदान को स्मरण करते हुए उनकी जयंती को युवा महोत्सव के रूप में मनाकर प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त कर रहा है। इस कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से शामिल होने आए युवाओं को एक-दूसरे के अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। योगी ने राष्ट्रीय युवा महोत्सव को दूसरी बार उत्तर प्रदेश में आयोजित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरन रिजिजू का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि विगत वर्ष दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन कुम्भ को कराने का अवसर हमारी सरकार को मिला था। जिसमें साढ़े 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग कर एक कीर्तिमान स्थापित किया था। कुम्भ के आयोजन ने सुरक्षा और स्वच्छता के मानकों पर देश और दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश को युवा कुम्भ के आयोजन का अवसर मिला है, जो युवा ऊर्जा का प्रतीक बनकर देश के 65 करोड़ युवाओं की प्रेरणा का प्रतीक बनेगा। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में ही लज्जित होने लगे तो समझ लीजिए कि उसका अंत समय आ गया है। जब हम अपने अतीत के गौरवशाली क्षणों और अपने महापुरुषों के पुरुषार्थ पर गौरव की अनुभूति नहीं कर पा रहे हैं, तो अपने भविष्य को स्वयं कुंद कर रहे हैं। इसलिए कहा गया है कि अतीत से कटा व्यक्ति वर्तमान का त्रिशंकू होता है। त्रिशंकू का कोई भविष्य नहीं होता है, वह कटा रहता है।
जिन्हें अतीत की जानकारी नहीं, वह भारत को राष्ट्र नहीं मानते
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जिस अतीत की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कराया था। उस ओर हमें देखना पड़ेगा। हमारे ऋषि-मुनियों की आध्यात्मिक साधना से प्राप्त तत्व ज्ञान हमारे वेदों में निहित है, जो यह कहते हंय कि भारत हमारी माता है और हम सब उसके पुत्र हैं। जिन लोगों को भारत के अतीत की जानकारी नहीं वो भारत को एक राष्ट्र मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पुराण भारत की सीमाओं का एक चित्र हम सबके सामने प्रस्तुत करते हैं। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पहले कभी दो देशों के बीच विवाद होता था तो अमेरिका या रूस से हस्तक्षेप की उम्मीद की जाती थी। आज दुनिया अमेरिका और ईरान की मध्यस्थता के लिए भारत और प्रधानमंत्री मोदी की तरफ देख रही है। यही है नया भारत।
युवा शक्ति अगर उठ खड़ी होगी तो कोई चुनौती नहीं टिक पाएगी
युवा होना एक मन:स्थिति है, जो कभी लाभ-हानि की परवाह ना करे और न्याय के साथ खड़ा रहे, वही युवा ऊर्जा है। सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां देश की आजादी के क्रांति दूत बन गए थे। नेता जी सुभाष चंद्र बोस का नारा प्रत्येक भारतीय का नारा बन गया, क्योंकि इसमें स्वार्थ नहीं परमार्थ था। दुनिया के अंदर सबसे युवा देश भारत है और भारत के अंदर सबसे युवा प्रदेश उत्तर प्रदेश है। ये युवा शक्ति अगर उठ खड़ी होगी तो कोई चुनौती सामने नहीं टिक पाएगी। आज का युवा हर क्षेत्र में कुछ न कुछ कर सकता है। सकारात्मक ऊर्जा सदैव व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। हम सबको भारत माता के सपूत के रूप में खुद को ऐसा गढ़ना है कि नये भारत के निर्माण में खुद की महत्वपूर्ण भूमिका हो। उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी “खेलो इंडिया खेलो” के अभियान में पदक तालिका में शीर्ष स्थान बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। हमने प्रदेश के सभी राजस्व गांव और सभी ग्राम पंचायतों में खेल का मैदान और ओपन जिम की व्यवस्था कर दी है।
शिकागो की धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने यह कहा था
11 सितम्बर 1893 एक ऐसा दिन जिसे इतिहास में स्वर्णिम दिवस के रूप में याद किया जाता है। इस दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण से भारतीय धर्म संस्कृति तथा ज्ञान की अविरल परम्परा का लोहा सारे विश्व में मनवाया था। उन्होंने अपने भाषण में कहा था, अमेरिकावासी बहनों और भाइयों आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया है उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय ह्रदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा है। संसार में सन्यासियों की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं। धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूं और सभी सम्प्रदायों एवं मतों के कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूं। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति दोनों की ही शिक्षा दी है। मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने पृथ्वी के समस्त धर्मों, देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया। मैं आंतरिक रूप से आशा करता हूं कि आज सुबह इस सभा में सम्मान में जो घंटा ध्वनि हुई है वह समस्त धर्मान्धता का तलवार या लेखनी के द्वारा होने वाले सभी उत्पीड़नों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होने वाले मानवों की पारस्परिक कटुताओं का मृत्यु निनाद सिद्ध हो।