देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। भारत सरकार ने लक्ष्य हासिल करने के लिये पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के नाम को बदल कर इसका नाम राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कर दिया है।
भारत सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव संजीव कुमार ने हाल ही में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को पत्र जारी करते हुए इस बारे में सूचित किया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रमेश चंद्र ने बताया जनपद को 2025 तक टीबी से मुक्त करने का दृढ़ निश्चय किया गया है। इसके लिये सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी एवं नोडल एके सिंह ने बताया राष्ट्रीय स्ट्रेटिजिक प्लान के अनुसार सन 2017 से 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कारण से क्षय रोग मात्र नियंत्रण करने के लिये कार्यक्रम चलाया जा रहा था जिसको उन्मूलन के लक्ष्य प्राप्ति के मददेनजर जनवरी 2020 से राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में परिवर्तित कर दिया गया है । यह क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। जिला क्षय रोग विभाग की ओर टीबी मरीजों को नि:शुल्क सुविधाएं दी जा रही हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान प्रति माह 500 रूपये उनके खाते में डाले जाते हैं। निक्षय योजना में पंजीकरण के लिये आधार कार्ड, निर्वाचन पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस (इनमें से कोई एक), खाते की पासबुक, टीबी जांच की रिपोर्ट, चिकित्सक की ओपीडी की जांच रिपोर्ट लाना आवश्यक है।
जिले में स्थिति
स्थानीय जनपद में वर्ष 2019 – 2020 के वर्तमान समय में कुल 6272 टीबी मरीज चिन्हित थे, जिनका अस्पताल में निरन्तर उपचार चल रहा है। 2019 अगस्त में 556 बच्चे टीबी से ग्रसित थे, जिनकी उम्र 18 साल से कम है। जिसमें कुल 41 लोगों ने पांच-पाच कर 205 बच्चों को गोद लिया, इसमें 10 एडिशनल सीएमओं व एक फाइलेरिया इंस्पेक्टर समेंत गैर संस्था, सामाजिक व व्यापारिक संगठनों शामिल है। निक्षय पंजीकरण के लिये आधार कार्ड, निर्वाचन पहचान पत्र, डीएल, खाते की पासबुक, टीबी जांच की रिपोर्ट, चिकित्सक की ओपीडी की जांच रिपोर्ट लाना आवश्यक है, ताकि उपचार करने में सुविधा हो।