दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, मस्जिद के पैरोकार रहे मो. इकबाल अंसारी तथा रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने अपेक्षा जताई है कि रामलला के मंदिर की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाथों से रखें। आधारशिला के रूप में वही शिला प्रयुक्त हो, जिसे साकेतवासी परमहंस रामचंद्रदास ने 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के दूत के रूप में आए आइएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को सौंपा था।
महंत सुरेशदास साकेतवासी परमहंस के शिष्य हैं। वह उनकी जगह अदालत में रामलला की पैरोकारी करते रहे हैं। इसी हैसियत से उन्होंने सोमवार को मांग उठाई कि मंदिर में उस शिला का प्रयोग हो, जिसे मंदिर निर्माण की मंशा से उनके गुरु ने 18 वर्ष पूर्व दान किया था। अब उन्होंने अपनी मांग में जोड़ा कि मंदिर की आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आएं। आचार्य सत्येंद्रदास ने भी ऐसी ही इच्छा जताई।
उन्होंने कहा, मंदिर की आधारशिला के रूप में उस शिला का हक बनता है, जिसे परमहंस ने प्रधानमंत्री के दूत के रूप में आए वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को सौंपा था, वहीं मंदिर की आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री से सुपात्र कोई अन्य व्यक्ति नहीं हो सकता।
गत नौ नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करने वालों में अग्रणी रहे मो. इकबाल अंसारी भी इस मांग में शामिल हैं कि आधारशिला में परमहंस की दी शिला का प्रयोग हो और आधारशिला रखने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही करें। इस इच्छा के साथ इकबाल अपने वालिद मरहूम हाशिम अंसारी और परमहंस की दोस्ती की मिसाल भी दे रहे हैं।
मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी अहम
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिरामदासजी की छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा है कि 20 जनवरी को प्रयाग में प्रस्तावित केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक मंदिर निर्माण की ²ष्टि से अहम होगी। उन्होंने कहा, इस बैठक में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित शासकीय ट्रस्ट के स्वरूप और राममंदिर के शिलान्यास को लेकर स्थिति काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। न्यास अध्यक्ष ने मंदिर निर्माण की तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह पर पूरा भरोसा जताया। कहा, मकर संक्रांति को खरमास समाप्त होने के बाद मंदिर निर्माण को लेकर शासकीय स्तर पर प्रयास भी सामने आ सकता है।