महाराष्ट्र की राजनीति में जारी उथल-पुथल थमने का नाम ही नहीं ले रही है। मंत्री पद को लेकर एनसीपी-कांग्रेस ही नहीं, शिवसेना के विधायकों में भी नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है। उद्धव ठाकरे सरकार के कैबिनेट विस्तार के महज पांच दिन बाद ही शिवसेना कोटे से मंत्री बने अब्दुल सत्तार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि औरंगाबाद में जिला परिषद के उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को दे दिया गया है, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। हालांकि, अभी तक अब्दुल सत्तार का इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है।
अब्दुल सत्तार भले ही औरंगाबाद में जिला परिषद के उपाध्यक्ष के पद को अपने इस्तीफे की वजह बता रहे हैं, लेकिन खबरों के मुताबिक, अब्दुल सत्तार को राज्य मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है। हालांकि, उनकी मांग थी कि उन्हें कैबिनेट में शामिल किया जाना चाहिए। वैसे, सत्तार के इस्तीफे की अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सुनने में यह भी आया है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सत्तार का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। शिवसेना अब्दुल सत्तार को मनाने में जुट गई है। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे उन्हें मनपसंद मंत्रालय देकर मना लेंगे।
महाराष्ट्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट विस्तार के बाद से ही अब्दुल सत्तार नाराज चल रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होने पर उन्होंने मंत्री पद से ही इस्तीफा दे दिया। वैसे बता दें कि बतौर विधायक उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में अब्दुल सत्तार ने भी अभी काफी गुंजाइश छोड़ी है।
शिवसेना ने मानी मंत्री पद की ‘कुर्सी’ को लेकर खींचतान हुई
पिछले दिनों महाराष्ट्र में उद्धव सरकार ने अपना कैबिनेट विस्तार किया। अब इसी कैबिनेट विस्तार से जुड़ी एक बात खुद शिवसेना सामने लेकर आई। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शिवसेना ने गुरुवार को ये स्वीकार किया कि जल्द हुए कैबिनेट विस्तार के समय महाराष्ट्र की तीनों सत्तारूढ़ पार्टियों(कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना) के वरिष्ठ नेताओं के बीच मंत्री पद की कुर्सी को लेकर खींचतान हुई। शिवसेना ने इस बात को स्वीकार करते हुए इसपर अपनी सफाई भी दी। उनकी पार्टी की ओर से कहा गया है कि कई विधायकों को मंत्री पद नहीं मिल पाए, क्योंकि संभावितों की सूची काफी लंबी थी।
अब्दुल सत्तार को सामना ने बताया था दाऊद का करीबी
मुंबई महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार में कभी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी बताए जाने वाले अब्दुल सत्तार को मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने ही 1994 में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में अब्दुल सत्तार को दाऊद का करीबी बताया था। 25 साल पुरानी सामना की यह रिपोर्ट अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और शिवसेना के नेताओं को इसका जवाब देते नहीं बन रहा है।