नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच गुजरात सरकार विधानसभा में इसके समर्थन में विधेयक पारित करेगी। 10 जनवरी को सरकार ने विशेष सत्र बुलाया है, ताकि केंद्र के इस कानून के पक्ष में वैधानिक तरीके से माहौल बनाया जा सके। गुजरात में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने की भी तैयारी बताई है।
गुजरात विधानसभा का तीन दिन का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर को ही समाप्त हुआ था, लेकिन इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा व राज्यसभा में पारित किए गए नागरिकता संशोधन कानून को गुजरात में लागू करने को अमलीजामा पहनाने के लिए 10 जनवरी को विशेष सत्र बुलाया गया है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी कई मौकों पर दो टूक कह चुके हैं कि गुजरात में सीएए व एनआरसी दोनों ही कानून लागू होंगे। हालांकि एनआरसी को लेकर फिलहाल केंद्र सरकार भी आश्वस्त नहीं है, लेकिन गुजरात सीएए के समर्थन में खड़ा नजर आना चाहता है, ताकि देश में सीएए के पक्ष में माहौल बनाया जा सके।
गौरतलब है कि देश की भाजपा शासित व भाजपा विरोधी सरकारों की ओर से इसके समर्थन व विरोध में कहीं बयान जारी हुए तो कहीं रैली, प्रदर्शन, तोड़फोड़ व आगजनी भी हुई लेकिन अधिकारिक रूप से किसी राज्य ने सीएए को मान्यता नहीं दी है लेकिन गुजरात सरकार ने इस मामले में पहल की है।
एनआरसी की फिलहाल घोषणा नहीं हुई, लेकिन गुजरात एनपीआर के लिए भी तैयार है। सरकार ने शहरों में रह रहे लोगों के आंकडे़ जुटाना भी शुरू कर दिया है। हालांकि इसके लिए तय प्रपत्र को अभी पूरा नहीं किया जा रहा है, लेकिन राज्य सरकार केंद्र व राज्य सरकार की विविध योजनाओं के लाभार्थियों को चिन्हित करने के लिए यह आंकड़े जुटा रही है।
केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून पारित किए जाने के बाद गुजरात ने भी सीएए व एनआरसी का समर्थन किया है लेकिन गुजरात में इसे लागू करना राज्य सरकार के लिए टेढी खीर साबित होगी। सीएए व एनआरसी को लेकर अहमदाबाद, वडोदरा, वडगाम में हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं। गुजरात में आधा दर्जन जिलों में बडी संख्या में आदिवासी समुदाय की बस्ती है ऐसे में सरकार को यह देखना होगा कि एक बार िफर अल्पसंख्यक समाज व आदिवासियों में कोई गलतफहमी ना बन जाए। आगामी 10 जनवरीको सरकार ने गुजरात विधानसभा का विेशेष सत्र बुलाया है, ताकि संसद के बाद विधानसभा से भी सीएए को पारित कराकर इसके पक्ष में माहौल बनाया जा सके।