नई दिल्ली : जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) प्रशासन ने गत दिनों विश्वविद्यालय परिसर में कथित पुलिस कार्रवाई की जांच के लिए दो उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया है। जामिया के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एमएनए चौधरी की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय समिति गठित की गई है। संयुक्त रजिस्ट्रार डॉ. अब्दुल मलिक इस कमेटी के संयोजक हैं। समिति में एपी सिद्दीकी, रजिस्ट्रार, जेएमआई, प्रो. एम असदुद्दीन, प्रो एनयू. खान, प्रो. मेहताब आलम, इलियास हुसैन, प्रो. अर्चना देसाई, प्रो. मुकेश रंजन बतौर सदस्य शामिल हैं। वहीं 11 सदस्यीय दूसरी समिति के संयोजक डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर हैं। इसमें सभी संकायों के डीन, चीफ प्रॉक्टर, प्रोवोस्ट बालक (डॉ. ज़ाकिर हुसैन हॉल), प्रोवोस्ट बालक (एमएमए जौहर हॉल), प्रोवोस्ट बालिका (बेगम हज़रत महल हॉस्टल), प्रोवोस्ट बालिका (जे एंड के हॉस्टल), प्रोवोस्ट बालिका (जी.पी. गर्ल्स हॉस्टल), प्रोवोस्ट (जामिया स्कूल हॉस्टल), जनसंपर्क अधिकारी और सचिव, जामिया शिक्षक संघ शामिल हैं।
अजीम ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी घटना के संबंध में अपनी जांच शुरू कर दी है और यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में भी लंबित है। इसलिए, घटना से संबंधित सभी तथ्यों, बयानों, इलेक्ट्रॉनिक व विभिन्न रिकॉर्डों को एकत्र किया जाएगा। इसमें घटना से जुड़े वीडियो और तस्वीरों आदि को डिजिटल उपकरणों से लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (कैब) के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्र आंदोलनरत हैं। 13 दिसम्बर को प्रदर्शन के हिंसक होने पर पुलिस बलवाइयों का पीछा करते हुए विश्वविद्यालय में घुसी थी और इस दौरान काफी छात्र चोटिल हो गए थे। इसमें कुछ छात्रों को गंभीरे चोटें आई हैं। विश्वविद्यालय कुलपति नज़मा अख्तर का आरोप है कि पुलिस बिना अनुमति के परिसर में घुसी और पुस्तकालय में पढ़ाई कर रहे निर्दोष छात्रों के साथ बर्बरता की। हालांकि पुलिस ने सभी आरोपों को खारिज किया है।