भारतीय वायुसेना की ताकत रहे मिग 27 के युग का हुआ अंत

रंगारंग कार्यक्रम में वाटर कैनन से हुआ स्वागत

जोधपुर : भारतीय वायुसेना में अपनी 38 साल की शानदार सेवाएं देने वाले मिग 27 का सफर आज थम गया। इससे पहले वह कई वायुसैनिकों को अपनी यादें दे गया। शहर के वायुसेना स्टेशन से शुक्रवार सुबह मिग 27 स्क्वाड्रन के 7 विमानों ने अपनी उड़ान भरी तो सभी की निगाहें बरबस आसमान पर टिक गईं, क्योंकि यह अपनी यादों का सफर खत्म कर आज रुखसत जो हो रहा था। भारतीय वायुसेना में करीब 38 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद लड़ाकू विमान मिग-27 जोधपुर से सेवानिवृत्त हो गया। समारोह की अध्यक्षता वायुसेना की दक्षिणी पश्चिमी कमान के प्रमुख एयर मार्शल एस के घोटिया ने की। मिग-27 की अंतिम उड़ान नए साल की पूर्व संध्या यानी 31 दिसम्बर को होगी। मिग-27 का विदाई समारोह शुक्रवार को सुबह वायुसेना स्टेशन जोधपुर पर हुआ। एयरफोर्स के आला अधिकारियों सहित करीब 50 पूर्व पायलट एक दौर में भारतीय वायुसेना के बेहतरीन रहे इस फाइटर जेट की विदाई के साक्षी बने। सभी सातों फाइटर के वापस आने पर लोगों की कर्तल ध्वनि के बीच सभी को वाटर कैनन सलामी दी गई। इसके साथ ही ये फाइटर अतीत का हिस्सा बन गए।

जोधपुर एयर बेस पर शुरू हुए भव्य समारोह में सबसे पहले वायुसेना के योद्धाओं ने अपनी शानदार परेड से लोगों का दिल जीत लिया। इसके बाद एक-एक कर सात मिग-27 विमान तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच अपनी उड़ान पर रवाना हुए। इस दौरान सूर्य किरण टीम ने भी उड़ान भरी। मिग-27 जहां आसमान की ऊंचाइयां नाप रहे थे वहीं सूर्यकिरण टीम हैरतअंगेज करतब दिखा सभी का मन मोह रही थी। इसके बाद वेस्टर्न कमांड के चीफ एयर मार्शल बी सुरेश के नेतृत्व में सातों मिग-27 विमानों ने तेज गर्जना के साथ कम ऊंचाई पर अलग-अलग फॉरमेशन बनाते हुए उड़ान भरी और सेवानिवृत्त हो रहे इस विमान का आखिरी बार जलवा दिखाया।

कार्यक्रम में सबसे पहले आकाश गंगा के स्काईडायवर्स का प्रदर्शन हुआ। हेलीकॉप्टर से काफी ऊंचाई से छलांग लगाकर पैराशूट के जरिए नीचे आए। इसके बाद वायुसेना की सूर्य किरण टीम का एयरोबेटिक डिस्पले हुआ। इसमें 6 हॉक जेट ट्रेनर आसमान में विभिन्न मैनुवर के साथ कलाबाजियां दिखाईं। इसका नेतृत्व विंग कमाण्डर जीएस ढिल्लन ने किया। इस विदाई समारोह के साक्षी करगिल युद्ध के हीरो भी बने। इनमें ग्रुप कैप्टन अश्विनी कुमार मंडोखोट व फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता राव भी शामिल थे, जिन्होंने मिग-27 के मारक प्रहारों से करगिल की पहाड़ियों से दुश्मन को मार भगाया था। दो सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों ने ग्रुप कैप्टन जीबीएस चौहान के नेतृत्व में फॉर्मेशन फ्लाई पास्ट किया। मिग-27 के फ्लाई पास्ट के नीचे उतरने के बाद दमकल से विमानों पर पानी का स्प्रे किया गया, जिसको वाटर सैल्यूट कहते हैं। इसी के साथ भारत में मिग-27 का अध्याय समाप्त हो गया।

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