कोलकाता : हजारों करोड़ रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त आईपीएस राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। गुरुवार रात जारी एक निर्देश में उन्हें राज्य सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग में प्रधान सचिव नियुक्त कर दिया गया है। कुमार अभी राज्य सीआईडी में अतिरिक्त महानिदेशक हैं। राजीव कुमार ने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली है और वह तकनीक के क्षेत्र में दक्ष अधिकारी माने जाते हैं। उन पर आरोप है कि सारदा चिटफंड समूह के मालिक सुदीप्त सेन और उसकी महिला सहयोगी देवयानी के मोबाइल पर सत्तारूढ़ पार्टी के जितने भी नेताओं के कॉल आए थे, उन सभी के डिटेल के साथ उन्होंने बड़ी आसानी से छेड़छाड़ की थी। इसीलिए उन पर सबूतों से छेड़खानी के आरोप लगते रहे हैं।
अब ममता बनर्जी पिछले कई दिनों से संशोधित नागरिकता अधिनियम और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ सड़कों पर हैं और आरोप लगाती रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी उनके खिलाफ फर्जी वीडियो बनाकर सोशल साइट के जरिए प्रसारित कर रही है। ममता ने एक दिन पहले ही कहा था कि बांग्लादेश में हुए दंगों का वीडियो बंगाल का बताकर साझा किया जा रहा है। शायद इसीलिए राजीव कुमार जैसे दक्ष अधिकारी को इस विभाग की जिम्मेदारी दी गई है ताकि तमाम दुष्प्रचारों पर प्रशासनिक लगाम आसानी से लगाई जा सके। राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार आईपीएस अधिकारी कुमार देवाशीष सेन की जगह लेंगे। सेन अतिरिक्त मुख्य सचिव के तौर पर विभाग का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए थे। सेन अब पश्चिम बंगाल आवासन अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एचआईडीसीओ) में सीएमडी होंगे।
आईपीएस अधिकारी कुमार सारदा चिटफंड मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल का हिस्सा थे। बाद में उच्चतम न्यायालय ने इसकी जांच 2014 में सीबीआई के हवाले कर दी थी। इस साल फरवरी में कुमार से सीबीआई ने इस मामले में पूछताछ की थी। हालांकि सीबीआई ने दावा किया है कि कुमार ने चिटफंड घोटाले के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की है। इसके लिए जांच एजेंसी ने उनकी गिरफ्तारी की भरपूर कोशिश की लेकिन कुमार करीब एक महीने तक अंडर ग्राउंड हो गए थे और सीबीआई उन्हें पकड़ नहीं पाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से राहत दी थी।