जंतर-मंतर पर समर्थन देने पहुंचे सीताराम येचुरी, वृंदा करात और डी राजा
नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू करने के बाद देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन में हिंसक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सीएए के विरोध में गुरुवार को दिल्ली में जमकर विरोध-प्रदर्शन किया गया। जंतर-मंतर पर भी वामपंथी पार्टी और उसके छात्रों संठगन के द्वारा विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया था। सीएए और एनआरसी के विरोध में वामपंथी पार्टी नेता और उसके सहयोगी छात्र संगठन के सदस्य गुरुवार सुबह से मंडी हाउस में जुटने शुरू हो गए थे। वे सभी मंडी हाऊस से लेकर शहीद पार्क तक विरोध मार्च निकालना चाहते थे। इसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) वृंदा करात, सीताराम येचुरी और डी राजा के साथ ही अन्य वामपंथी पार्टियों के नेता भी शामिल थे। यह विरोध मार्च जैसे ही मंडी हाउस से शहीद पार्क जाने के लिए निकला, वैसे ही दिल्ली पुलिस ने धारा 144 (निषेधाज्ञा) लागू के तहत उल्लंघन करने के आरोप सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें राजधानी के अलग-अलग स्थानों में लेकर जाकर छोड़ दिया गया।
इस विरोध प्रदर्शन में वामपंथी पार्टियां सीपीएम, सीपीआई, सीपीई-एलएम, ऑल इंडिया स्टडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस.एफ.आई.), क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस), जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र के अवाला जामिया विश्वविद्यालय के टीचर्स एसोसिशयन ने अपना समर्थन दिया। इस धरना प्रदर्शन में आए हुए लोगों को बीच पहुंची भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वृंदा करात ने कहा कि यह सीएए कोई हिन्दू-मुसलमान का मुद्दा नहीं हैं। यह सीएए भारत की आत्मा पर हमला है। उन्होंने सीएए और एनआरसी को प्रधानमंत्री मोदी का त्रिशुल बताया और कहा कि इसके द्वारा देश के प्रधानमंत्री मोदी हिन्दुस्तान के दिल पर घाव कर रहे हैं। करात ने कहा कि सीएए एक प्रकार का आरएसएस और भाजपा का एंजेडा है। इन लोगों ने कभी भी अंबेडकर कानून को स्वीकार्य नहीं किया। हमेशा मनुवाद और मनुस्मृति को पालन करते आए हैं। यह दोनों एक प्रकार से भाजपा का पैकेज है। इसलिए आज हम लोग यहां पर विरोध प्रदर्शन करने आए हैं।
वहीं सीताराम येचुरी ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इसे वापस नहीं लेती, तब इस प्रकार का विरोध-प्रदर्शन होता रहेगा। यह सीधा सीधा संविधान का उल्लंघन है। केंद्र की मोदी सरकार इसके माध्यम से देश को बांटने का काम कर रही है जो कि सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि इससे पहले एक सरकार ने देश में जब आपातकाल लागू किया था, तब भी लोग इस प्रकार सड़कों पर उतकर विरोध प्रदर्शन किए थे। इसके बाद इंदिरा गांधी का हश्र यह हुआ की उनको केंद्र की सत्ता छोड़नी पड़ी। अगर यह सरकार भी तानाशाही के आधार पर यह कानून लागू करना चाहती है तो देश की जनता यह स्वीकार नहीं करेगी।